#24_नवंबर_की_सुबह_(_लगभग_11_बजे_)
तखतगढ़ का बस स्टॉप
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शादी के तंग माहौल और उससे हुई बोरियत से थोड़ी देर दूर आने के लिए मैं बस स्टैंड पर जाकर , एक खाली पड़ी बैंच पर बैठ गया ,
वहां टोटल 4 बैंचे थी उसमें से 2 साफ़ थी और उन 2 मे से भी 1 भरी हुई और एक खाली थी ,
लेकिन अपने को क्या अपने को तो बैठने के लिए जगह चाहिए थी जो मिल गयी थी , और जा कर मैं वहां बैठ गया
मेरे मोबाइल में डेटा नामक चीज तो हमेशा खुली रहती है सो आसान ग्रहण करके हम तो खो गए उस दोस्तों की आसमानी आसमानी आभासी दुनिया में ,
तभी थोड़े समय बाद वहां एक लड़की आई उसके साथ उसकी 2 सहेलियां भी आई ,
अब बेंचो पर बैठने के लिए तो उनके पास भी वोही ऑप्शन थे जो मेरे पास थे , और फिर क्या वो बैठ गयी मेरे पास
अजी हम तो ठहरे भोलेभक्त , उनके पास बैठने से मैं थोड़ा असहज सा महसूस करने लगा
मैं उनसे थोड़ा हट कर बैंच के कोने पर खिसक गया ,
अब मैं पूर्ण रूप से 'थाले' आ चुका था
तभी 'टीडुक-टीडुक' की आवाज और डिस्प्ले पर बेटरी लौ का नोटिफिकेशन , कम्बख्त बोरियत दूर करने का आखिरी सहारा भी छीन गया , (शायद मेरा मोबाइल भी भोलेभक्त रहा होगा )
कुछ दस मिनिट बाद
वो और उसकी सहेली कुछ कॉपीया और नोट्स टटोलने लगी , मैंने देखा वो कुछ कॉलेज के नोट्स थे ,
मैंने सोचा क्यों न समय काटने के लिए और सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य नॉलेज के आदान प्रदान के लिए इनसे थोड़ी वार्तालाप की जाये ,
क्योकि उस 'गद्दार' की तो बेटरी लूल हो गयी थी
अब हम तो थे ही शरीफजादे , कुछ समझ नही
आरिया था की शुरू कहा से करू उनसे बातचीत,
आखिरकार 15 मिनिट दिमाग में चिंतन मनन के बाद एक 5 सेकेंड की स्क्रीप्ट तैयार हुई
और पूछा - आप कॉलेज स्टूडेंट हो क्या ??
(हालांकि यह सवाल ऐसा था कि नाई के पास जाकर पूछना - भाई बाल काटेगा क्या ? )
लेकिन तीर कमान से निकल चुका था ।
उसने कहा - 'हाँ '
(खैर अब एक शिष्टाचार युक्त चैट की शुरुआत हो चुकी थी )
अच्छा कौनसी सब्जेक्ट है ? - मैंने कहा
BA(पोलिटिकल) फाइनल ईयर -वो बोली
मैंने कहा - वाह राजनीति !!!
फिर 2 मिनिट का मौन रखकर एक और नई स्क्रीप्ट तैयार हुई
मैं- देखिये, थोड़ा अजीब है पर मैं फर्स्ट ईयर का स्टूडेंट आप फाइनल ईयर के स्टूडेंट से एक सवाल पूछना चाहता हूँ !!
वो आँखे बढी करकर हल्की मुस्कुराहट के साथ बोली -
आ गया तो बता देंगे उत्तर ,
उसकी सहेलियो ने भी हामी भर दी
मैंने सवाल किया -
'वर्तमान में कौनसी सरकार है और पिछली कोनसी सरकार थी ??? '
मेरा सवाल सुनकर वो तीनो एकदम शांत होकर मुझे ऐसे देखने लगी
जैसे मानो मैंने कड़ाके की सर्दी में पंखे का बटन दबा दिया हो ।
शायद वो मन ही मन सोच रही होंगी की 5वी क्लास के लेवल जैसा सवाल क्यू किया
खैर उनका उत्तर भी वो ही निकला जिसकी मैंने आशा की थी
उन्होंने जवाब दिया - बीजेपी और कांग्रेस
फिर वो बोली -
सही है ना ?
मैंने कहा - आप तीनो के लिए गलत लेकिन दुसरो के लिए सही है
उसने कहा - ऐसा क्यू??
मैंने कहा - क्योंकि आप राजनीती की स्टूडेंट हो तो आपको इस बात की गहरी जानकारी होनी
चाहिए की सिर्फ बीजेपी की सरकार न होकर वो गठबंधन की सरकार है जिसमे बीजेपी के साथ शिवसेना , अकाली दल और अन्य दलों का साझा समर्थन है ,
और पिछली सरकार कांग्रेस की ना होकर वो भी गठबंधन की थी , और उस गठबंधन का नाम UPA था !
और राजनीति शास्त्र से आप जुडी हुई है तो आपको तो इस बात की जानकारी होनी चाहिए थी ,
मेरा यह बोल बच्चचन सुन कर तीनो के मुह से सिर्फ एक शब्द निकला - " ओह्ह "
(पता नही मेरे दिमाग में अजीब सा सवाल कहाँ से आ गया लेकिन जैसे तैसे टाइमपास करना था तो मैंने सवाल चिपका दिया )
फिर मैंने पूछ यहां कोई रेगुलर कॉलेज तो है नही तो फिर आप ?
उसने कहा - एक्चुअली हम कॉलेज प्राइवेट कर थे है और अभी हम सब RSCIT का कोर्स कर रहे है
मैंने कहा -ओह्ह RSCIT , ऐसा करना इसमे ज्यादातर सभी के फुल फॉर्म और शॉर्टकट की याद कर लेना ज्यादा सवाल उसी मेसे आते है
उसने कहा - आपने दिया है क्या RSCIT का एग्जाम ?
मैंने कहा - हाँ
कितने परसेंट बने थे आपके ??
मैंने कहा - 88 परसेंट ।।
उसने कहा - बहुत इंटेलीजेंट हो आप
मैं बोला- बचपन से
वो थोड़ी खिलखिलाई
(खैर मेरे परसेंटेज तो थोड़े काम आये, जिससे लगा की भाई बन्दा शरीफ है , कोई शन्ट या लोफर नही है )
उसकी बस लगभग 12 बजे की थी
और अभी लगभग 1 घण्टा बाकी था,
फिर क्या था मेरी स्क्रीप्ट बनती जाती वो जवाब देती जाती ,
बस सिलसिला शुरू हो चूका था ,
कभी मेरी बारी कभी उसकी बारी ,
कभी वो अपनी कहानी बयां करती तो कभी मैं
उसके इतने मजेदार उटपटांग सवाल पूछे , इतने हंसोड़ चुटकले सुनाए , जिसको सुनकर मुझे इतनी हंसी आयी जितनी whatsapp पर भी पढ़कर नही आयी
पहली बार किसी अजनबी से बातें करके अच्छा लग रहा था !
12 बज चुके थे , एक घण्टा कब गया कुछ पता ही नही लगा , अभी मुझे भूख लगने लगी थी और उसकी बस का टाइम हो गया था लेकिन बस अभी आनी थी,
लेकिन गुलाब जामुन , काजुकतली और सब्जी पूरी से भरी हुई वो प्रीति भोज की थाली मेरे ख्यालो में आ रही थी ,
मैं उसे जरा साइड में किया और उस शिष्टाचारी चैट को यथावत रखा !!
हम गुफ्तगू में मगशूल ही थे की उसकी बस आ गयी
वो जल्दी से अपनी सहेलियों के साथ बस में चढ़ गई !
और मैं उसी बैंच पर बैठा रहा !!
बस रवाना हुई और उसने जाते जाते खिड़की से मुझे हाथ हिलाकर अलविदा किया !
तभी एकदम से मेरे चेहरे पर दंतुरित मुस्कान फ़ैल गयी , और एक अलग सा एहसास होने लगा ,
भैया हम तो ठहरे इस मामले में अनाड़ी , हमे तो मालुम नही उस अहसास को क्या कहते है लेकिन इतना बताये देत है कि जैसे सड़क पर चलते हुए 2000 का नया नोट मिला हो वैसी फीलिंग हो रही थी , बाय गॉड की कसम
उस मुलाकात के बाद दिन की सारी उदासी चुटकी में गायब हो गयी !!
भविष्य , करियर और न जाने कैसी कैसी चिंताए सब पल में ही छूमन्तर हो गयी
लेकिन इ का बे , लड़की का नाम तो पूछा ही नही
धत्त तेरे की ..... ढपोल शंकर ओ छू थयु
खैर जो हुआ सो हुआ , अब तो शादी में जाकर खाने पर धावा बोलना था ,
और चल दिए अपनी मंजिल की और जो है अधूरी
, गुलाब जामुन, सब्जी और पूरी
दूसरा दिन
25 दिसम्बर (करीब 10 बजे )
वही बस स्टॉप
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शादी खत्म ,खेल खत्म
हम चल रहे थे अपने ठिकाने वापिस
लेकिन मन में एक कसक उठ चुकी थी ,
उसी छोकरी से मिलने की ,जिसका नाम मैं नही जानता था
उसकी बस 12 बजे थी तो शायद वो मिल जाए
लेकिन संयोग तो देखिये , बस स्टैंड पर जाते ही मुझे वो दिखी और वो उसी बैंच पर बैठी थी लेकिन आज सभी बैंच साफ़ और खाली दिख रहे थे ( रातो रात स्वच्छ भारत अभियान कैसे शूरू हो गया यार )
बरहाल जैसे ही मैंने उसे देखा उसने मुझे Hiii किया और जवाब में मैंने हल्की मुस्कुराहट दे दी
और भोलेभक्त हु इसीलिए पास वाले बैंच की बजाय मैं उसके पीछे वाले बैंच पर बैठ गया
और आज उसी ने बातचीत का सिलसिला शुरू किया लेकिन आज वो 10 बजे बस स्टैंड पर आ गयी थी मैंने पूछा आप इतनी जल्दी यहां ?? तो उसने कहा - आज जल्दी फ्री जो गयी थी क्लास से
मैंने कहा - अच्छा
और आज उसकी एक सहेली भी नही आयी थी
खैर उससे अपने को क्या लेना देना ;-)
अपन के तो फिर वही बातो का सिलसिला शुरू हुआ
हम दोनों के चेहरे विपरीत कोण में थे , मतलब उसका चेहरा दक्षिण में तो मेरा उत्तर
लेकिन मेरी स्क्रीप्ट जैसे ही तैयार होती मेरा उसके चेहरे के सापेक्ष हो जाता और उसका मेरे सापेक्ष
मतलब आमने सामने
तभी उसकी चचेरी बहन जो की उसकी सहेली भी थी वो किसी काम से उठ कर चली गयी थी
अब उस बैंच पर वो अकेली और इस बैंच पर मैं
अब स्क्रीप्ट भी ढंग से बन नही थी या यु कहूं कि खत्म हो गयी थी !
क्योंकि उसकी चचेरी बहिन थोड़ी बातूनी थी तो वो हमारे बातचीत में उत्प्रेरक का काम कर रही थी ,
लेकिन यह ख़ामोशी थोड़ी देर के लिए ही रही वो आ गयी थी वापस
लगभग 11 बज चुके थे ,
उसकी बहन बीच में बोल देती की ढेड़ घण्टा रहा है 2 घण्टे रहे है
तो वो बोल उठी की एक घण्टा रहा है
क्योंकि घड़ी मेरे सामने ही लगी हुई थी ,
हमारी बाते चल रही थी
थोड़ी इधर उधर की बाते हुई , थोड़े से उसने मेरे फ्यूचर प्लान पूछे और करियर के बारे में सवाल
लगभग पौने बारह बजे अचानक से उसने मेरा नाम पूछ लिया ,
मैंने कहा , अरे मैं तो भूल ही गया था , फिर मैंने अपना नाम बताया और मैंने भी उससे उसका नाम पूछा
बड़ा प्यारा नाम बताया उसने ,
'बारह बज गए' - उसकी वो बातूनी सहेली बीच में बोल पड़ी
और 10 मिनिट के अंदर अंदर बस आ गयी ! उसकी सहेली जल्दी से जाकर अंदर बैठ गयी और वो भी खड़ी हो गयी और जाने लगी
जाते जाते उसने मुझसे पूछा की फिर कभी यहां नही आओगे क्या ??
"शादी खत्म , खाना हजम " अब क्या लेने आयु यहां -मैंने मजाक ले साथ उत्तर दिया
और उसने हल्की सी मुस्कुराहट दी
जो शायद मुझे बनावटी लगी
और वो रवाना हो गयी
लेकिन 5 -7 कदम भरकर वो वापस आयी और मुझसे बोली -' आपके नम्बर मिलेंगे क्या ??'
मैं अवाक् सा देखता रह गया , एक लड़की नम्बर मांग रही है , खैर अपन तो थोड़ी अपनी जायदाद उसके नाम करनी है , नम्बर ही तो देने है
और मैं जल्दी जल्दी पास की मोबाइल दुकान ओर गया , पेन मांगी और जल्दी से मेरे जेब से एक कागज निकाला आधा फाड़कर जेब के अंदर और आधे पर नम्बर लिखा और वो भी डाल दिया जेब के अंदर
और पेन वापस दुकानदार को देकर भाग कर उसके पास गया और और जेब से कागज निकालकर उसे दे दिया ,
उसने वो कागज जल्दी से लेकर अपने पर्स में डाला और मुझसे हाथ मिलाकर कहा
Nice to meet u , n may will meet again ......
मैंने कहा - sure ,
और वो बस में चढ़ गई और बस भी चल दी
फिर वही सिलसिला
, हाथ हिलाकर मुस्कराहट के साथ अलविदा किया
और वही दंतुरित मुस्कान चेहरे पर खिल उठी
आँखे तेज धड़कने लगी और ह्रदय में तेज़ चमक
(माफ़ कीजियेगा उल्टा हो गया )
.
अब अपनी वाली बस बस भी रवाना थी तो मैं किसका वेट करू??, मैं भी रवाना हो गया
चेहरे पर मुस्कुराहट खिली खिली रहने लगी
उदासी गायब हो गयी थी
फिर से वो ही अहसास , 2000 रुपिया के नोट वाला :-)
लेकिन जैसे ही मैंने अपना टिकिट लेने के लिए जेब से पैसे निकाले
तब ससुरा मेरी तो आँखे चौन्धिया गयी
ई का हो गया बे ??
खाली कागज उसको पकड़ा दिया और नम्बर वाला मेरे पास ही रह गया !!
साला हमरे से मुर्ख आदमी कौन होगा!!
अब का करू ,
सिवाय उसके नाम के मुझे कुछ याद नही ,ना घर न पता और ना कोनो फेसबुक id वगेरा
ई तो घोर मिस्टेक हो गयी !!
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अब सिवाय पछताने के अलावा में क्या कर सकता था ,
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Disclaimer :- प्रतुस्त वृतांत मेरे दोस्त का अनुभव है । लेकिन यह उसके जिंदगी के सफर का एक छोटा सा स्टेशन था , और ऐसे स्टेशन हम सभी के जीवन में आते रहते है ।
जिंदगानी चलती जायेगी , कुछ अनजाने अहसास ,कुछ खुशी के कुछ ग़म के स्टेशन आएंगे , जहां आपको लगेगा कि जिंदगी थम सी गयी है ,
आपकी गाड़ी जीवन के हर इलाके से गुजरेगी मसलन कभी प्रेम का , कभी दुनियादारी , जिम्मेदारी तो कभी कोई !
मगर देर सवेर मंजिल जरूर मिलेगी,
बशर्ते अपनी गाड़ी को हमेशा सही 'ट्रैक' पर रखना होगा यानी हर कदम पूर्णतया सोच समझकर रखना लेना होगा
वरना मेरे इस 'ज्ञानी' मित्र की तरह आप भी अपने उस साथी को खो देंगे जो आपकी फीलिंग को समझे , आपके साथ खुश हो और जिसके साथ आपके भविष्य की संभावनाए जुडी हुई हो ......... :-)
✍️©वंश नरपत आहोर
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