1 अप्रैल 2020
#Lockdown का आठवां दिन , शाम के लगभग 6 बजे
आशु और उसकी पत्नि अपने 5 वर्षीय बच्चे के साथ घर मे खेल रहे थे, थोड़ी देर में TV पर आशु का एक कवि सम्मेलन का पसन्दीदा प्रोग्राम आने वाला था , लिहाजा वह उठकर TV के सामने बैठ गया ,
लगभग आधे प्रोग्राम के दरमियान आशु ने संगीता को चाय का बोला, संगीता जो बच्चे के साथ खेल रही थी उसमें हामी भरी और कीचन में चली गयी .......
आशु प्रोग्राम में रम गया था हर कवि और शायर की परफॉरमेंस उसे भा रही थी उसी दौरान एक शायर ने एक शायरी बोली कि
"वक्त -ए'- रुक्सत आया है दिल फिर भी घबराया नही
उसको हम क्या खोएंगे जिसको कभी पाया ही नही"
आम सी लगने वाली इस शायरी को सुनकर आशु के बदन में सहसा जैसे करंट दौड़ गया हो , परेशान आशु छत की तरफ भागा और अपने हाथो से अपने बालों को पकड़ घर सुर्ख लाल हो चुके आसमाँ की और देखने लगे ,
इस शायरी ने आशु की जिंदगी में उस आग को वापस जला दिया था जो बरसो पहले राख बन चुकी थी...
हैरान परेशान आशु छत पर बने स्टोर रूम की तरफ भागा औऱ इधर उधर अपनी पुरानी दस्तावेज और पुराने मोमेंटो वाली अटैची खोजने लगा ,
कभी पुराने बेड के नीचे तो कभी ऊपर वाली दराज पर
बड़ी मशक्कत के बाद एक पुरानी दरख़्त में जाकर उसे वो अटैची मिली,
आशु अटैची खोलने वाला ही था कि तभी संगीता चाय लेकर आई
'यू अचानक टेरिस पर क्यों आ गए? ' - संगीता ने पूछा
आशु नही चाहता था कि यह पुरानी अटैची उसके जीवन मे नई समस्या पैदा करे इसलिए अटैची छुपाते हुए कहा -
'कुछ नही संगीता मैं अपने कुछ पुराने कागज निकाल रहा था , तुम चाय रख दो , मैं आता हूँ
'ठीक है' - संगीता ने कहा
संगीता के जाते ही आशु ने वो अटैची खोली और उस मेसे पॉलीथिन में लपेटा हुआ वो हल्का नीला शर्ट निकाला जिसकी प्रेस आज भी वैसी ही जैसी कुछ सालो पहले थी ,
6 साल पहले यह शर्ट उसे रजनी ने दिया था,
शर्ट निकालते ही आशु के आंख से पानी की बूंदे शर्ट पर जा गिरी और उस जगह हल्का नीला रंग , गहरा हो गया , और रंग के साथ गहरी हुई उसकी यादे
चलिए 9 साल पीछे चलते है और जानते है कहानी आशु और रजनी के रिश्ते की , और आशु की आंख से रिसते आंसुओ की
दिसम्बर, 2011
फिलहाल सर्दियों की छुट्टियां चल रही थी और
जयपुर में अध्ययनरत और RAS की तैयारी कर रहे आशु ने अपने 10 बाई 15 के कमरे में रात्रि 9 बजे लगभग ' पड़ोसी देशों के साथ भारत के सम्बन्ध' टॉपिक अभी अभी ही खत्म किया था कि गृह मंत्रालय से हाईकमान का टेलीफोन आया और एक भारी भरकम आवाज आई -
' सुनो, सुनील(ताऊजी का लड़का ) की शादी की तारीख फिक्स हो गयी है 19 दिसम्बर ,
तुम आ जाना और पढ़ाई खराब नही होनी चाहिए इसलिए ज्यादा जल्दी आने की कोई जरूरत नही है दो चार दिन पहले आ जाना '
आशु ने कहा - ' ठीक है '
उधर हाईकमान ने फोन रखा और इधर आशु के दिमाग का डोपामिन हार्मोन रिलीज , एकदम से खुश हो गया ,
होता भी क्यों ना परिवार की ऐसी पहली शादी थी जिसमे वो खुलकर एन्जॉय कर सकता है , उससे पहले जब ताऊजी के लड़कियों की शादी थी तब वह बहुत ही छोटा रहा था
जैसे तैसे दिन कटे , बस पकड़ी और 16 दिसम्बर की रात को आशु रवाना हो गया
आहोर
(17 Dec 2011)
पाठ का दिन
अल सुबह आशु बस से उतरा , बिना चाय के ही आशु आज तरोताज़ा महसूस कर रहा था आखिर घर जो आया था
घर मे जाते ही आँशु ने सबको चरण स्पर्श किया , हाईकमान और मम्मी से मिलने के बाद आशु अंदर बैठी दादी से मिलने गया और दादी ने भी उसका माथा चूमा,
इससे पहले की आशु अपना पिट्ठू बैग कहीं रखता सबने सवालो का सर्जिकल स्ट्राइक कर दिया बेचारे पर -कैसा है ?पढ़ाई कैसी चल रहीं है ? वहां ठंड कैसी है? वगेरा वगेरा
इतने में ताऊजी की बड़ी लड़की अवनी , आशु के लिए चाय लेकर आई , आशु वो पी ही रहा था कि हाईकमान ने लिस्ट थामते हुए आर्डर दिया -
जल्दी चाय पी और राहुल के साथ जा और यह समान ले आ,
अभी अभी तो आया है , इतना लंबा सफर करके थोड़ा आराम करने दे - ताऊजी ने कहा
सफर ही तो करके आया है वो भी सोते सोते ,कोई पहाड़ थोड़ी तोड़कर आया है - हाईकमान तंज के साथ
ठीक है चाय पीकर जाता हूँ - आशु ने कहा
आशु राहुल के साथ बाइक पर मार्किट सामान लेने चला गया ,
राहुल, आशु के चाचा का लड़का है , आशु से 3 जमात जूनियर , इसलिए वो आशु को सबके सामने भैया और पर्सनल में बॉस कहकर बुलाता था,
राहुल और आशु दोनो बाइक लेकर थोड़ी ही दूर वाली दुकान पर सामान लेने जा पहुंचे
आशु ने दुकान पर जाते ही दुकानदार को लिस्ट थमा दी और वो समान तोलने लग गया
उतने में वहाँ काली सलवार कुर्ती पहने हाथो में अपनी टूटी हुई हिल्स वाली सेंडल लिए एक लड़की आई और दुकानदार से फेवीक्विक मांगी , दुकानदार ने लड़की को फेवीक्विक दी और वो वही दुकान के बाहर नीचे बैठकर उसकी सेंडल की टूटी हुई क्लिप को जोड़ने लगी,
उतने में दुकानदार ने आशु का सामान तोल दिया था और एक थैले में डाल रहा था , थैला पूरा भर गया लेकिन 2 किलो मैदे की थैली बाहर रह रही थी ,
आशु ने दुकानदार से कहा - इसे मैं हाथ मे ही पकड़ लूंगा...
आशु ने एक हाथ मे थैला उठाया और जैसे ही दुकान में काउण्टर से मैदे की थैली उठाने ही वाला था कि वो फिसल कर सीधी नीचे जा गिरी उस काली सलवार वाली लड़की के पास , और फूटते ही सारा मैदा उस लड़की के ऊपर
अब देखने मे वो लड़की एक ब्लैक एंड वाइट मूर्ति लग रही थी
'ओये मिस्टर, आँखे है या बटन , दिखाई नही देता ? यह क्या कर दिया?' - उसने तैश में आकर बोला
'सॉरी मिस वो गलती से थैली फिसल गयीं थी'- आशु ने सफाई में कहा
लड़की का पारा बढ़ता ही जा रहा था और आवाज उसी करते हुए आशु पर चिल्लाई -
' ध्यान नही रख सकते , अब तुम्हारी गलती की सजा तो मुझे भुगतनी पड़ेगी ' -
लडकी आशु पर बिगड़ती ही जा रही थी और आशु भी सफाई पर सफाई दिए जा रहा था ..
इस दौरान आशु ने राहुल को बाइक स्टार्ट करने को बोला और आशु उस पर बैठकर रवाना हो गया लेकिन जाते जाते भी वो लड़की उस पर चिल्लाती जा रही...
थोड़ी दूर चलते हुए आशु ने लम्बी राहत की सांस लेते हुए कहा - हास , चलो पीछा छुटा , थोड़ी देर और रुकता तो मुझे कच्चा ही चबा जाती ।
हा बॉस , उस काली शेरनी का शिकार होते होते रह गए - राहुल ने हँसते हुए जवाब दिया
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(उसी दिन शाम के समय.......)
मेहमानों का आना शुरू हो गया था
एक ट्रेडिशनल मारवाड़ी शादी की खास बात यह होती है जिसमे ज्यादातर घर वाले खुद काम करना पसन्द करते है ..
चाहे वो किराणा का सामान हो जीमने की व्यवस्था
हर कोई दौड़ भाग करता नजर आता है
और मेहमानों के लिए मेहमान नवाजी में चाय के ऊपर चाय ऑफर की जाती है जिसके माबदौलत घर के एक सदस्य की नियुक्ति तो गैस के पास ही कर दी जाती है
ताऊजी ने जीमण व्यवस्था का कार्यभार संयुक्त रूप से आशु और राहुल को दे रखा था लिहाजा शाम को मेहमानों को भोजन कराने की जिम्मेदारी आशु और राहुल की थी....
रात 8 बजे जीमण शुरू हो चुका था
आशु और राहुल खाना सर्व कर रहे थे , आशु को पूरे दिन की थकान के बाद नींद आ रही थी इसलिए वो जल्दी जल्दी काम खत्म करके की फिराक में था इसलिए जो जल्दी जल्दी सर्व कर रहा था ....
तभी अवनी ने आशु को आवाज दी - 'आशु , जरा यहां रायता डालना तो '
'आया दीदी ' - आशु ने दूर से ही जवाब दिया
'लाओ दीदी गिलास रखो' - आशु ने रायते की बाल्टी नीचे रखते हुए कहा
'थोड़ा इनको भी डालना ' - अवनी ने अपने पास बैठी लड़की की ओर इशारा करते हुए कहा
आशु उस लड़की के गिलास में रायता डालने वाला ही था कि नीचे मुह करके खा रही लड़की ने ऊपर देखा ..
यह वही लड़की जिसके साथ सुबह आशु की भसड़ हुई थी
इसके ऊपर देखते ही आशु का हाथ फिसल गया और रायता फर्श पर फैल गया,
रायता फैलता देख दीदी और वो लड़की वहां से उठ गए
'तुम्हारे हाथ ठीक से काम नही करते है क्या, सुबह मैदा और अब यह रायता ? ' - लड़की ने कहा
'अच्छा ! तुमने जो बताया था
मतलब तुझे सुबह सुबह इसी ने ब्लैक एंड वाइट भूतनी बनाया था क्या? ' - अवनी ने हंसते हुए आशु की तरफ उंगली करते हुए उस लड़की से कहा
'हाँ अवनी यही है वो '- उस लड़की ने कहा
' Sorry '- आशु ने कहा
' चलो कोई ना गलती हो जाती है कभी कभी , खैर यह मेरे चाचा का लड़का है आशु , जयपुर पढ़ता है । और यह है रजनी मेरे मासी की लड़की मुम्बई रहती है यह भी आज ही आई है '- अवनी ने आशु और रजनी दोनो से कहा
आशु ने हिचकिचाते हुए रजनी से दोबारा sorry बोला
जवाब में रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा - ' कोई नही '
रजनी और अवनी वहाँ से चले जाने में बाद राहुल ने आकर आशु से पूछा -'क्या हुआ बोस?क्या बोली वो शेरनी ?'
'कुछ नही छोटे , जो रायता फैला था वो साफ हो गया ' - आशु ने एक विचारयुक्त मुस्कान के साथ उत्तर दिया
चल जीमण का काम पूरा हो गया अपने ,अब थोड़ा आराम कर लेते है - आशु ने कहा
'चलो बॉस' - राहुल ने कहा
दोनो चल दिये
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फूफाजी और जमाई पक्ष न्यूज़ चैनल लगाकर TV के सामने अपना साम्राज्य स्थापित किये हुए थे ,
सुनील भैया के ननिहाल वाले अपना बाहर झमघट लगाए हुए थे , और इन सारे पक्षो के बच्चे गठबंधन बनाकर बाहर खेल रहे थे , एकतरफ जनरेटर का शोर दूसरी तरफ बच्चो का कोलाहल,
वही आशु सबकी आवभगत में लगा हुआ था ,
'आशु जरा पानी पिलाना' - फूफाजी ने पानी मांगा
'अभी लाया फूफाजी'- आशु ने कहा
आशु जैसे ही गिलास भरकर पीछे मुडा ही था कि रजनी से टकराते टकराते बचा
'क्यो मिस्टर रायते के बाद पानी गिराने का ईरादा है क्या? ' - रजनी ने अपनी एक भौंह ऊपर करके हाथ बगल में डालते हुए कहा
'न...न...न...भगवान बचाये इस खता से , आपका चण्डी अवतार देखा हुआ है दुकान पर' - आशु ने हंसते हुए कहा
'अरे sorry यार , उस टाइम मुझे थोड़ी पता था कि तुम अवनी के भाई '- रजनी ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा
दोनो एकसाथ हस दिए और आशु फूफाजी को पानी देने चला गया ,
इस टकराव के बाद आशु में रजनी के प्रति कुछ नए एहसास ईजाद हो गए थे , ऐसे एहसास जो रजनी के देखते आशु की मुस्कान बड़ी कर देते,
शादी की व्यस्तता के चलते सभी थक गए थे और सभी सोने की तैयारी करने लग गए
नीचे भीड़ होने की वजह से कुछ लोग टेरिस के ऊपर भी सो रहे थे ,
किसी को बिस्तर की कमी ना हो या किसी को बिस्तर की जरूरत हो, इसका जायजा लेने के लिए आशु छत पर गया तो उसने रजनी को देखा , वो बहुत परेशान लग रही थी
'क्या हुआ रजनी जी ? इतनी परेशान क्यो हो ?- आशु ने सवाल किया
'देखिए ना , बड़ी मुश्किल से एक बिस्तर मिला था , उस पर भी गलती से पानी गिर गया , अब इतने जाड़े में दूसरा बिस्तर भी नही मिल रहा है' - रजनी ने अपनी परेशानी बताई
'आप रुकिए में व्यवस्था करता हूँ '- आशु यह बोलते ही जल्दी नीचे उतर गया
आशु नीचे उतरते ही बिस्तर में सो रहे राहुल के पास पहुंचा
'जल्दी उठ , बिस्तर चाहिए , यह बिस्तर दे मुझे '- आशु ने कहा
'लेकिन बॉस ,फिर हम किस पर सोएंगे , सर्दी भी कितनी है' - राहुल ने परेशान होते हुए कहा
'अरे उसका जुगाड़ हम कहि न कही से कर लेंगे , लेकिन अभी थोड़ी इमरजेंसी है ' - बिस्तर खीचते हुए आशु ने कहा
बिस्तर लेते ही आशु बुलेट ट्रेन की रफ्तार से रजनी के पास पहुंचा
'यह लीजिये रजनी जी, आपका बिस्तर '- आशु ने कहा
'अरे वाह इतना तेज ' - रजनी ने खुश होते हुए कहा
'जी , और आदेश कीजिये ' - आशु ने कहा
'नही जी , बस बहुत है, शुक्रिया आपका' -रजनी ने कहा
'जी और कोई काम हो तो याद कीजियेगा '- आशु यह कहकर नीचे उतर गया
'आओ बॉस सो जाओ जल्दी , कल बहुत काम है , नींद लेलो ' - आशु के आते ही राहुल बोल पड़ा
' यार छोटे , अब नींद लेकर क्या करूँगा , अब तो नींदे हराम होने वाली है '- आशु ने कहा
'क्या मतलब'- राहुल ने असमंजस के साथ सवाल किया
'छोटे अब मतलब समझाने से मतलब नही , यह सब बातें अभी तेरे लिए बेमतलब की है, चल सो जा ,गुड नाईट '- इतना कहकर आशु रजाई ओढ़कर सो गया
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आहोर
18 दिसम्बर 2011
बन्दोलि का दिन
हमेशा की तरह हर भारतीय शादी में घर की औरते सबसे पहले उठ जाया करती है , उठ कर सबसे पहला काम उनकी फेहरिस्त में यह होता हैं कि अगर पानी आया है तो पाइप लगाकर मोटर चालू कर दे और फिर चाय बना दे...
और यही सीन इस शादी का भी था
सुबह के लगभग 6 बजे
आशु आंख मलता हुआ घर के अंदर आया और बेसिन से मुंह धोकर चाय पीने के लिए रसोई के पास आकर बैठ गया
आशु सरसरी निगाहों से इधर उधर देख रहा था , उसकी आँखें रजनी को ढूंढ रही थी , जब कहि नहीं मिली तो उसने सोचा सो रही होगी..
तभी रजनी रसोई से चाय लेकर आई
बगुले से रंग वाली और कोमल काया की स्वामिनि रजनी बाय-डिफ़ॉल्ट सुंदर तो थी ही लेकिन आज उसकी श्वेत देह पर गुलाबी साड़ी और नहाने के बाद सूखने के लिए खुले छोड़े बाल उसकी सुंदरता को और बढ़ा रहे थे,
सेहर का यह मंजर मानो उसे किसी तिलस्मी दुनिया मे ले गया हो, जहाँ फलक से उतरती कोई नूरजहां उसे अपने हाथों से सोमरस का रसास्वादन करा रही हो , यह सोचते सोचते आशु खो सा गया
' क्यू मिस्टर , अभी नींद पूरी नही हुई क्या , यह लो चाय '- रजनी ने कहा
रजनी की आवाज ने आशु को उस तिलस्मी दुनिया से बाहर खींच लाया था
'अरे नींद की क्या हिमाकत जो मुक्कमल हो जाये , कमबख्त ख्वाब ही इतने गहरे होते है ' - आशु ने शायराना अंदाज में जवाब दिया
'अरे वाह , सुबह सुबह शायरी '- रजनी ने कीचन में जाते हुए कहा
लेकिन आशु के मन मे रजनी के लिए कल जो एहसास जगा था , वही एहसास अब बेतहाशा बढ़ गया था,
आशु कही न कही उसे दिल दे बैठा था , जब भी वो उसके सामने आती , वो मन ही मन खुश हो उठता,
और कल की तरह ही सुबह चाय पीते ही आशु की ड्यूटी शुरू हो गयी थी
ताऊजी ने अपनी वेगेनार की चाबी आशु को थमाते हुए कहा -
' आशु शाम को कढ़ी बनाने के लिए छाछ चाहिए होगी , तो मैंने पास के गांव के मेरे पहचान वाले को बोल दिया है उसने दो ड्रम रखे है उसके फार्म हाउस पर , राहुल के साथ जाकर ले आओ वो पहचानता है '
'ठीक है' - आशु ने कहा
आशु चाबी लेकर बाहर गाड़ी की तरफ बढ़ा
' ओये छोटे चल , छाछ लेकर आते है ' - चलते चलते उसने राहुल से कहा
'आया बॉस'- राहुल ने कहा
सर्दियों में डीज़ल गाड़ी की दिक्कत यह होती है कि स्टार्ट मुश्किल से होती है सो आशु भी लगा पड़ा था ताऊजी की वेगेनार को चालू करने में ,
आशु अब तक कुल 16 सेल्फ लगा चुका था , लेकिन गाड़ी का चालू होने का मूड लग नही रहा था .... हल्की हल्की धूप भी निकल आई थी
उतने में रजनी बाहर बैठे फूफाजी और जमाई गैंग को चाय देने आई , उसने आशु और राहुल को देखा तो वो उनके पास चली गयी
'क्या हुआ मिस्टर चालू नही हो रही है '- रजनी ने अंदर बैठे आशु से पूछा
'हा यार अब तक 19 सेल्फ लगा चुका हूँ और यह है की मान ही नही रही' - आशु ने परेशान होकर जवाब दिया
'एक काम करो गाड़ी को आगे धूप में खड़ी कर दो और तब तक तुम दोनों चाय पीओ '- रजनी ने सुझाव दिया
अब आशु भला रजनी के हाथों की चाय को थोड़ी मना कर सकता था सो उसने कहा - ' गुड आईडिया, यही करते है '
आशु ने गाड़ी धूप में खड़ी कर दी , और राहुल और आशु दोनो रजनी के हाथ की चाय पीने लगे
'वैसे इतनी सुबह सुबह कहा जा रहे हो?'- रजनी ने कहा
'वो हम पास के गांव के फार्म हाउस पर जा रहे है , छाछ लेने' - चाय का अंतिम घुट खत्म कर चुके राहुल ने जवाब दिया
' वाओ, फार्म हाउस जा रहे हो , मैं भी आ रही हूँ '- रजनी ने एक्साइटेड होते हुए कहा
' पर.........'- आशु बोल ही रह था कि रजनी ने बात को बीच मे काटते हुए कहा
' पर वर कुछ नही मैं आ रही हूँ '
रजनी दौड़ती हुई अंदर गयी और चाय की केतली रखी और उतनी ही तेजी से वापस आई , राहुल आगे की सीट पर बैठने वाला ही था कि रजनी आकर बैठ गयी ,
'प्लीज तुम पीछे बैठ जाओ '- बच्चो की तरह भाव लिए रजनी ने राहुल से कहा
राहुल को ठीक वैसा ही महसूस हो रहा था जैसे राजनीति में किसी की टिकट काटकर किसी और को पकड़ा दी जाती है
खैर रजनी का आशु के साथ बैठना आशु के लिए एक बिन मांगी मुराद थी जो पूरी हो रही थी ।
बरहाल आशु ने गाड़ी स्टार्ट की और लगभग आहोर से बाहर निकल चुके थे, और गाँव की तरफ बढ़ रहे थे
रजनी विंडो ग्लास खोलकर बाहर की ठंडी हवा को महसूस कर रही थी ,
' तुमने कभी फार्म हाउस नही देखा क्या?'- आशु ने रेंडमली सवाल किया
'कहा यार , बर्थ से लगाकर स्कूलिंग और कॉलेज सब मुम्बई में हुआ , पहली बार जब मै 7 साल की थी तब मारवाड़ आई थी , और दूसरी बार अब, गांव और खेत क्या होते है तो वो सिर्फ फिल्मो में ही देखा है '- रजनी ने अफसोस के साथ कहा
'अजी कोई ना , जब हम भये साथ तो डर काये का , फिक्र नॉट '- आशु ने फिल्मी अंदाज में कहा
'वाह बॉस'- पीछे से राहुल चिल्लाया
राहुल फार्म हाउस वाले अंकल से अच्छी तरह से परिचित था, उसका अक्सर यहाँ आना जाना लगा रहता है ,
फार्म हाउस पर पहुँचते ही राहुल ने अंकल को नमस्ते किया ,
'आओ राहुल आओ'- अंकल ने कहा
'अंकल हम आपका फार्म हाउस देख सकते है? '- रजनी जाते ही जट से बोल पड़ी
'हाँ हाँ क्यो नही जहां घूमना है वहा घूमो , तुम्हारा ही खेत है ' - अंकल ने कहा
रजनी आशु को खेत के उस ओर ले गयी जहाँ सरसो उंगी थी
' देखो आशु, कितनी मस्त लग रही है यब मस्टर्ड क्रॉप्स , हवा में लहराती येल्लो और ग्रीन रंग का यह कॉम्बिनेशन , सुपर्ब,
मैने ऐसा आजतक सिर्फ फिल्मो में ही देखा था खासकर DDLJ में ' - रजनी ने सरसो पर हाथ गुमाते हुए कहा
जवाब में आशु मुस्कुराया
राहुल अभी छाछ के ड्रम गाड़ी में रख चुका था और आशु और रजनी खेत से कुण्डी से होते हुए आ रहे थे
'क्यो बेटा देख लिया खेत?'- अंकल ने कहा
'हाँ अंकल खेत से लगाकर तबेला , सब कुछ देख लिए '- रजनी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा
सब एक साथ छद्म हँसी हसने लगे
तभी आशु बोला -' घूमना फिरना हो गया होतो चले मैडम '
अरे ऐसे कैसे जा सकते हो , यहां तक आये हो घाट (राब) तो खाते जाओ' - अंकल ने मनुहार करते हुए कहा
'नही अंकल, रहने दीजिए फिर कभी आएंगे '- आशु ने कहा
' यह लोग तो आ जाएंगे अंकल, लेकिन मैं मुम्बई से कब आउंगी मेरा पता नही , मुझे तो खानी है , और खाकर ही जाऊंगी' - रजनी यह कहकर आंटी के पास चूल्हे के पास बैठ गयी
रजनी बहुत ही खुले विचारों वाली लड़की थी , उसने आधुनिकता के साथ संस्कारो को भी संजोय रखा था , और जब बात हक और अपने पर आती तब तो पूछो मत , समझो हालत पतली आगे वाले कि , भला यह बात आशु से अच्छी तरह औऱ कौन समझ सकता था , रजनी इन सब के साथ साथ बातूनी भी बहुत थी , जहां भी जाती बाते करने बैठ जाती , और बाते भी ऐसी ऐसी करती की सामने वाले को भी पता ना चलता की वक्त कब कट गया,
अब रजनी तो रजनी है , आंटी और अंकल भी उसकी बातों में इतने रम गए थे कि ना ना करते हुए भी ऑन्टी उन तीनों को 4 कटोरी राब पिला चुकी थी
वक्त की नजाकत देखते हुए रजनी ने आशु से चलने के लिए बोला और अंकल-आंटी से विदा ली
अंकल-आंटी रजनी से मिलकर बेहद खुश थे ,
जिनका खूब पढ़ा लिखा एकलौता बेटा अपनी बीवी के साथ शहर रहता हो, और साल में सिर्फ एक बार मिलने आता हो , उनकी जिंदगी में भले क्षणिक ही सही ,खुशी लाकर रजनी
बहुत बड़ा एहसान किया था....
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बन्दोलि की रात थी, dj वाला अपने मिक्सर स्पीकर वगेरा सेट कर रहा था , घर के बाहर आंगन में पलँग बिछे हुए थे और उन पर सफेद जक बिस्तर और उन पर फूफाजी और जमाई गैंग और अन्य सभी वेवाईगण, अंदर कुछ महिला शक्ति तैयार हो रही थी और कुछ का मेकअप हो रहा था , और इन सब की गाइड बनी हुई थी रजनी,
किसी को साड़ी पहने में दिक्कत हो रही थी तो कोई फाउंडेशन लगाने और आई-लाइनर बनाने के लिए रजनी को बुला रहा था , अजी बुलाना भी लाज़मी था फैशन सेंस में माहिर और ब्यूटी पार्लर का एक्सपीरियंस जो था उसके पास,
Dj वाला बाबू ,dj का bass और ट्रबल चेक करके भूमिका बना रहा था , उधर राहुल-आशु बाहर मेहमानों को पानी पिला रहे थे ....
उधर दूल्हे राजा सुनील भैया भी हाथ मे नारियल लेकर पाठ पर बैठ चुके थे , और इधर छोटे वाले चाचा जी के अति उत्साही छुटके लौंडे ने अपना रंगारंग कार्यक्रम शुरू कर दिया था
उसका यह डांस देखने के लिए सभी ने अपना जमघट लगा लिया, आशु और राहुल कुर्सी लेकर अपनी जगह बैठ गए थे, और सभी महिला शक्ति बाहर आने लगी....
सभी के साथ रजनी भी बाहर आई ,
आशु रजनी पर पिछली बार से ज्यादा मोहित हो गया,
जैसे जैसे शादी के दिन नजदीक हो रहे थे रजनी के सौंदर्य का स्तर भी बढ़ रहा था
आज उसने आसमानी और हल्के गुलाबी रंग की घाघरा-छोली पहनी थी ,
आशु तो बस देखता रह गया, माथे पर छोटी लाल बिंदी उस पर खूब फल रही थी,
उधर dj वाले ने गाना बदल दिया
"सब मुझको देखें मैंने
देखा तुझको बस है
सब धुंधला धुधला लगे
तुझपे ही फोकस है"
आशु के ऑडियो और वीडियो की ट्यूनिंग बैठ गयी थी
डांस शुरू हो चुका था, सबसे पहले घर की औरतों ने घूमर पर डांस किया , फिर जमाई गैंग ने दूल्हे को चिढ़ाने के 'तेनू घोड़ी किने चढ़ाया भूतनी के ' पर डांस किया , फिर बारी आई रजनी की उसने मोर्डन राजस्थानी गीत 'मोरनी' पर डांस किया,
रजनी का डांस वहाँ मौजूद सभी लोगों को पसंद आया,
इसके बाद पब्लिक ऑन डिमांड पर फूफाजी एंड जमाई गैंग द्वारा नागिन डांस
बच्चो का ब्रेक डांस
चाची -ताईजी का ट्रेडिशनल डांस हुआ
सभी के द्वारा धुँआधार डांस के बाद अब बारी थी एक टी ब्रेक की,
गरमा गर्म चाय आई , सबको चाय के कप पकड़ा दिए गए,
लेकिन रजनी अभी नही रुकने वाली थी ,अभी सबकी चाय खत्म ही हुई थी कि उसने dj वाले से गरबा लगाने की गुजारिश की और कहा - 'ऐसा बजा की तेरे भाई कि शादी हो और तुझे 1 करोड की लॉटरी लगी हो '
सब लोग एक साथ ठहाका लगाया और dj वाले बाबू ने भी जोश में आकर फुल बेस के साथ - ' ओम्बलीया री डाली माते बेटू बेटू होलडु बिवडावे ' गरबा गीत शुरू कर दिया
गरबा शुरू हो चुका था, रजनी ने सारी नारी शक्ति को नाचने पर मजबूर कर दिया था, यही नही उसने सारी नर शक्ति को भी साथ ले आई थी भला इतने आशु और राहुल थोड़ी चुकने वाले थे , कोने में बैठे आशु -राहुल पर रजनी की नजर पडते ही उसने उन दोनों को सबके साथ थिरकने पर मजबूर कर दिया....गरबा का समां देखते ही बन रहा था , सारा हुजूम फ्लोर पर था , और डांस सबके सर चढ़कर बोल रहा था
लगभग 1 घण्टे नॉन स्टॉप गरबा चले ,
अंततः समय का ध्यान रखते हुए ताऊजी को यह अनाउंसमेंट करनी पड़ी की 2 बज गए है अब बन्द करो और जल्दी सो जाओ , कल बारात लेकर भी जाना है ,
ताऊजी की इस अनाउंसमेंट के साथ सब शांत हो गए और अपने अपने बिस्तर की और गमन करने लगे,
उन मेसे ज्यादातर लोग रजनी की तारीफ में कसीदे गढ़ रहे थे, की उतना मज़ा उन्हें पहले कभी नही आया....
सभी लोग अंदर जा चुके थे
आशु और राहुल बाहर खड़े अभी बाते ही कर रहे थे
'यार, इस लड़की में कितनी क्वालिटी है '- आशु ने कहा
'हा बॉस, यह शेरनी तो मोरनी भी निकली'- राहुल ने कहा
तभी ऊपर से रजनी की आवाज आई - ' ओ मिस्टर्स , तुम लोगो को डांस करना बाकी है क्या अभी ?
'नही बस इसी बात पर चर्चा कर रहे थे आज के डांस में जो सबको इतना मज़ा आया उसका कारण आप थी या चाय में किसी ने अफीम मिलाई थी?- आशु ने मजाकिया लहजे में कहा
' हा हा हा, मजाक अच्छा कर लेते हो, चलो कल जल्दी उठना है , गुड़ नाईट '- रजनी ने कहा
' गुड नाईट ' - आशु का प्रत्युत्तर
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19 दिसम्बर 2011
आहोर
शादी का दिन
अमुमन भारतीय शादियों में खासकर की मारवाड़ी शादी में बारात रवानगी के टाइम में 2-3 घण्टे का डिले हो ही जाता है , बारात रवानगी का टाइम सुबह 10 बजे का था , लेकिन पब्लिक लोग रात की थकान के बाद जैसे तैसे 9 बजे तो उठे ही थे , और बेचारे दूल्हे राजा तो अभी पेट पकड़ कर टॉयलेट के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे , शादी का माहौल था और घर के तीनों टॉयलेट व्यस्त थे ...,
हमेशा जल्दी जल्दी रेडी होने वाली रजनी आज कुछ परेशान सी लग रही थी,
उसने किचन में बाहर चाय पि रहे आशु को देखा और पास जाकर बोला - 'सुनो, तुम मेरे साथ चल सकते हो क्या मेरे मासी के घर , मुझे आज जो ड्रेस पहनी है वो वही पड़ी है वो लेने जाना है '
आशु ने हामी भर दी और दोनों गाड़ी लेकर रवाना हो गए ,
लभगभ आधे घण्टे में दोनो ड्रेस लेकर रवाना हो गए, वापस आते समय रजनी के मोबाइल पर एक कॉल आता है , रजनी वो कॉल अटेंड करती है
आशु सिर्फ रजनी को ही सुन पा रहा था
"हाँ बोलो"
" इतना चिल्ला क्यों रहे हो "
" नही उठा पाई रात को फोन ,बन्दोलि चल रही थी और फोन चार्ज में लगा हुआ था "
" मैंने बताया ना तुम्हें तुम इतना भड़क क्यो रहे हो "
रजनी ने गुस्से में आकर फ़ोन कट कर दिया
आशु रजनी से कुछ पूछता इतने रजनी बोल पड़ी - ' रोको...रोको.....मैं तो भूल ही गयी थी तुम रुको मैं आई दो मिनिट में '
रजनी इतना बोल कर जहाँ गाड़ी रुकवाई थी उसके सामने वाली ज्वैलरी की दुकान में घुस गई
आशु मन ही मन कयास लगाए जा रहा था - ' क्या लेने गयी होगी वो '
'शायद कोई नेकलेस या चूड़ी वगैरा लेने गयी होगी वो? '
' नही ,नही नैकलेस तो उसने रात को ही पहना था '
'पहनी तो उसने पायल और चूड़ी भी थी, फिर क्या लेने गयी है ? '
'हाँ , शायद झुमके लेने गयी होगी ' - आशु अंतिम कयास पर आकर निचिंत हो गया'
उतने में रजनी आ गयी और अंदर बैठ गई
'क्या लेने गयी थी रजनी ?' - आशु ने उत्सुकतावश पूछा
' अरे वो मैं तुम्हे बताना भूल गयी , उस दिन जब तुमने मुझ पर वो आटा गिराया था, उस दिन मैं आहोर ही आ रही थी , तो उस दिन मै कार मेसे उतर रही थी की मेरा मंगलसूत्र फाटक के ऊपर वाले हिस्से में अटक गया और फिर मेरा पैर मुड़ गया और मै गिर गयी,बस उसी वक्त मेरा यह मंगल सूत्र और मेरे सेंडल की स्ट्रिप टूट गयी थी, इसीलिए तो मैं दुकान से फेवीक्विक ले रही थी और स्ट्रिप को चिपका रही थी ,
और तभी तुमने मुझे ब्लैक एंड वाइट भूतनी बना दिया था ,'
- रजनी ने अंतिम में लगभग हँसते हुए कहा और मंगलसूत्र पहने लगी
रजनी का यह सब बोलना और मंगलसूत्र पहनना , आशु के लिए एक भयावह मंजर था, उसे यह अब एक अनहोनी सा लग रहा था, आशु को ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसकी नसों मेसे खून निकाल लिया हो और मांस के लोथड़े वाले शरीर को कही दूर फेक दिया,
आशु ने अपने आप को संभाला और कहा - ' तो फिर तुमने इतने दिन क्यू नही पहना '
' अरे यार दुकान वाले ने बोला कि अभी नही हो सकता , कल मिलेगा, फिर टाइम ही नही मिला, फिर मासी भी कबसे कह रही थी कि ले आ ले आ , इसलिए आज अचानक याद आ गया '- रजनी ने सफाई देते हुए कहा
इसके बाद रजनी ने अपना मोबाइल लेकर कार के म्यूजिक सिस्टम से कनेक्ट कर लिया और गाने शुरू कर दिए,
लेकिन यह गाने आशु में मन मे उठी उथलपुथल को नही दबा पाए
और इस दरमियान दिल टूटे आशु ने भी रजनी से कोई सवाल नही किया
यही कोई 3 गाने पूरा होने के बाद घर आ गया था, रजनी उतर कर अंदर चली गई लेकिन आशु गाड़ी के अंदर ही बैठा रहा
हमारे देश मे युवा की सबसे बड़ी कमजोरी और सबसे बड़ी शक्ति वे खुद ही है अगर बात कुछ कर दिखाने की हो तो तूफान का रुख भी मोड़ सकते है और सड़क से लेकर संसद तक हिला देते है , लेकिन ज्यादातर इमोशनली बहुत कमजोर होते है ,बात जब खुद पर या प्यार पर आती है तो वे टूट जाते है , सबसे बड़ा गुनहगार खुद की मान बैठते है ,
आशु के साथ भी यही हो रहा था , बहुत विचलित था , मन ही मन सवाल किए जा रहा और खुद ही जवाब दिए जा रहा था
"क्यों टूट गया ना दिल"
"खैर वोतो टूटना ही था, बिना उसे जाने लगाया था"
"लेकिन वो मुझसे उतना खुल कर बाते क्यो कर रही थी"
"अरे पागल, वो शहर की लड़की है वो भी इतने बड़े शहर की , खुले विचारों वाली है , सबके साथ ऐसे ही बात करती होगी तुझे क्या पता उसके बारे में "
"क्या तुझे उसने कभी बोला कि जो तुझे प्यार करती है "
"नही, ऐसा तो कभी नही बोला "
आखिरकर आशु ने खुद को समझाया और मन ही मन कहा- " कितनी सुंदर है वो , बाते भी कितनी अच्छी अच्छी करती है, और कितनी क्वालिटी भी है उसमें, उसे देखकर तो हर लड़का उससे प्यार करने लग जायेगा, तो क्या वो हर किसी से प्यार करती फिरेगी?"
आशु पूरी तरह मन हारकर तैयार होने अंदर चला गया
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देर सवेर बारात रवाना होकर दोहपर 1 बजे अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गई थी,
दूल्हे की सास उसका तिलक कर बारात का स्वागत कर रही थी
कन्यापक्ष वाली वाली औरते स्वागत के गीत गा रही थी
बैंड वाला "बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है" गाये जा रहा था
एक तरफ यह सब कोलाहल सुनकर 1 दिन पहले आशु को मज़ा आ रहा था आज वही सब उसके लिए सिरदर्द था, इन सब से दूर होकर आशु भोजन पण्डाल में गया और थाली लेकर एकांत में भोजन करने लगा,
तभी वहां राहुल आया और बोला - 'क्या बॉस ,ऐसे साथ छोड़कर कैसे जा सकते हो , मै भी आ रहा हु थाली लेकर'
जवाब में आशु ने कुछ नही कहा
आशु खाना खत्म करके मण्डप की तरफ जा रहा था और सामने से रजनी आ रही थी
कलतक आशु रजनी को देखकर बेवजह खुश हो जाया करता था और आज वो उससे नजरे चुरा रहा था ,
'अरे आशु कहा छुपे छुपे जा रहे हो '- रजनी ने आशु को देखते ही कहा
' मण्डप जा रहा हूँ , चाचाजी ने बुलाया'- आशु ने रजनी को लगभग नजरअंदाज करते हुए कहा
रजनी को थोड़ा अजीब लगा
आशु मण्डप में जाकर दीवार के सहारे खड़ा हो गया ,
पण्डितजी दूल्हा दुल्हन को हस्तमिलाप करवाकर , सात फेरे करवाते हुए दोनों को वचन दिलवा रहे थे
आशु फेरे को और अपने सपने को साफ साफ टूटते हुए देख रहा था , सपने जो उसने रजनी को केंद्रीत करके देखे थे , उसके साथ फेरे लेने के , शादी के बाद रॉयल एनफील्ड पर लद्दाख जाने के ........ सब के सब एक झटके में धराशायी
यह सब सोच कर आशु कल से ज्यादा दुखी हो गया था , वो बाहर चला गया , विवाह स्थल से थोड़ी दूर एक चाय की थड़ी पर गया और वहाँ एक-दो जॉइंट मारकर वापस आकर कही सो गया
शाम को विदाई के समय शोर से आशु की नींद खुली और चुप चाप जाकर वह बस में बैठ गया और बारात रवाना हों गयी,
फिर दुल्हन का गृह प्रवेश हुआ और सब सोने चले गए ,
रजनी बिस्तर पर लेटे लेटे आज के आशु के बीहेवियर के बारे में ही सोच रही थी, और तो और वो सुबह से सिर्फ एक बार ही दिखा था, लेकिन रजनी इन सब के पिछे का कारण नही जानती थी ....यह सब सोचते सोचते रजनी की आंख लग गयी
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5
20 दिसंबर की सुबह
शादी और आशु के जन्मदिन में 19-20 का फर्क था
19 की शादी और 20 का आशु का जन्मदिन
यह बात राहुल को मालूम थी लिहाजा उसके जरिये पूरे घर को पता चल गई , अतः सुनिल ने यह तय किया कि शाम को आशु के जन्मदिन की पार्टी रखते है ,
" लेकिन आशु है कहाँ कल शाम से दिखाई नही दिया? "- सुनील ने कहा
"पता नही भैया, मैने भी नही देखा उनको"- राहुल ने कहा
" अरे यही कहि होगा आस पास , आ जायेगा " - पास बैठे हाईकमान ने कहा
" चलो जल्दी जल्दी खाने की तैयारी करो मेहमानों को निकलना है "- ताऊजी का आदेश आया
शादी हो चुकी थी इसलिए ज्यादातर लोग अभी निकल रहे थे , रजनी जल्दी जल्दी अपने सामान पैक कर रही थी , उसे वापस मुम्बई निकलना था , वो टाइम पर स्टेशन पहुंच जाए इसलिये वो अभी निकल रही थी
रजनी ने ताऊजी व ताईजी के चरण स्पर्श किये विदा ली
रजनी गेट से बाहर निकलते ही आशु को आते देखा
" अरे मिस्टर, कहा गायब हो कल से दिखाई नही दिए, कहा थे ?"- रजनी ने कहा
" वो थोड़ी तबियत खराब हो गयी थी "- आशु ने आस पास देखते हुए कहा
" अरे यार......, बता नही सकते थे , कोई बात नही अपना ध्यान रखना, " - रजनी ने चिंता जाहिर करते हुए कहा
" आप कहा जा रही हो "- आशु ने रजनी का सामान देखकर कहा
" मैं जा रही हु वापस घर, उनका फ़ोन आया था, और हाँ विश यु अ वेरी वेरी हैप्पी बर्थडे, तुम्हारी हर विश पूरी हो, मुझे पहले पता होगा तो गिफ्ट भी ले लेती "- रजनी ने कहा
"कोई बात नही "- आशु ने कहा
रजनी आशु को bye कहकर चली गई,
आशु तबतक उसको देखता रहा जब तक वो बस में नही बैठ गई
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6
शादी खत्म होने के बाद आशु वापस जयपुर आ गया था , और वापस अपनी पुरानी जिंदगी में लौट आया था, जिसमे सिर्फ चारदीवारी ,एक छत और कुछ किताबे थी , वापस लौट आने के कुछ दिनों तक तो वो जियोग्राफी की किताब में अपने चार दिन के इतिहास को भुलाने की कोशिश करता तो कभी राजनीति विज्ञान से अपनी मनोविज्ञान सही करता,
2 महीने बीत चुके थे ,बड़ी मुश्किल से उसने रजनी के चेहरे को भुलाया था,
लेकिन वो कहते है ना , अगर आप किसी चीज को पूरी तरह से पा नही लेते या पूरी तरह से छोड़ नही देते तब तक वो चीज आपका पीछा करते रहती है
शनिवार रात लगभग 11 बजे आशु बेमने तरीके से फेसबुक स्क्रॉल किये जा रहा था, की तभी उसको एक फ्रेंड रिक्वेस्ट आई, यह रिक्वेस्ट रजनी की थी ,
रिक्वेस्ट देखते ही पहले तो आशु ख़ुश हुआ फिर अचानक से नार्मल हो गया
उसने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली.....
एकबार तो आशु का मन हुआ की वो उसे मैसेज करे, फिर लॉगआउट करके सो गया
आशु शायरियां और कविताएं लिखने का शौकीन था , वो अक्सर लिखकर उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट करदिया करता था,
एकरोज आशु ने ऐसी ही उदास मन से एक शायरी पोस्ट की
" चंद लम्हो में ही कई दिन गुजार के बैठे है हमसे ना मिल जिंदगी , हम हार के बैठे है "
कुछ देर बाद उसे उस शायरी के कमेंट बॉक्स में उसे उसका रिप्लाई मिलता है
" तुम सिर्फ हारे हो मरे नही , बसन्त में सिर्फ पत्तियां सूखती है जड़े नही "
यह कमेंट रजनी ने किया था , आशु आज भी उसे मैसेज करना चाह रहा था , लेकिन उसने वापस हाथ पीछे कर लिए और कमेंट लाइक करके रिप्लाई में स्माइली पोस्ट कर दी
एक रोज आशु ने फिर शायरी पोस्ट की...
" मैं बदनसीब था , उनको सवेरा मिला और मेरी किस्मत में सिर्फ रात आई "
उधर रिप्लाई में वापस रजनी का कमेंट
" है न मसला कोई उदासी का इसमे, मुक्कमल चाँद भी उन्हीं की किस्मत में होता है जिनकी किस्मत में रात होती है "
आशु यह रिप्लाई पाकर खुश हुआ, अब आशु से रहा नही गया उसने झट से रजनी को मेसेंजर से मेसेज कर दिया -
"Hiii"
"Hey, शायरियां अच्छी अच्छी करते हों "- रजनी
" अरे , बस ऐसे ही बैठे बैठे टाइम पास कर लेते है " - आशु
" और क्या चल रहा है "- रजनी
"बस अपनी तो वही सरकारी नुमाइंदे बनने की तैयारी, आप बताइए " - आशु
" बस अपनी भी कट रही है "- रजनी
" बाकी कैसे है आपको शौहर ?" - आशु मजाकिया लहजे के साथ
" जाने दो मत पूछो "- रजनी ने कहा
" क्यों क्या हुआ, कुछ प्रोब्लम हो गयी है क्या?" -आशु
"हमारा डाइवोर्स हो गया है " - रजनी ने कहा
" क्या 😲 "- आशु ने अचंभित होकर टाइप किया
आशु को इस बात से दुख हुआ लेकिन एक अनजानी खुशी भी हुई
" लेकिन अभी तो आपकी शादी को मेरे ख्याल से एक साल भी नही हुआ था और इतना जल्दी ? कैसे ?" - आशु
" जहां इंसान काम मे ,जिम्मेदारी में अपने आप को पूरा झोंक दे और फिर भी उसकी वहां वैल्यू ना हो, हर बात पर उसे ताने दिए जा रहे हो , उसके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई जा रही हो फिर क्या वो वहाँ रह सकता है " - रजनी
"बात तो सही है आपकी, लेकिन आपने यह फैसला बड़ा जल्दी ले लिया , आपको सब्र करना चाहिए था "- आशु
"क्यो कहि पर लिखा हुआ है की सब्र सिर्फ औरत ही करे, और आदमियों के हर जुल्म को वो सहन करे"- रजनी
"Sorry , मेरा वो मतलब नही था "- आशु
"कोई बात नही"- रजनी
फिर रजनी ने एक एक करके अपनी सारी वजह बताई ,की किस कारण वो तलाक लेने पर मजबूर हो गयी , किस तरह से उसे ससुराल में परेशान किया जाता था,
फिर माहौल को हल्का करने में लिए आशु ने शादी के यादगार पल छेड़ दिए की उस रात कैसे रजनी ने सारे घर वालो को नचा दिया था ,
उस रात आशु-और रजनी का चैट रात 4 बजे तक चला
अंतिम मैसेज रजनी ने किया- " अरे यार पता ही नही चला 4 कब बज गये , ok गुड नाईट, तुमसे बात करके अच्छा लगा "
'मुझे भी , गुड़ नाईट '- आशु का रिप्लाई
मोबाइल साइड में रखकर आशु एकटक पंखे की ओर देखता रहा , और रजनी के ख्याल में डूब गया
अब रजनी से बात करना करना आशु का डेली रूटीन सा बन गया , जब तक वो उससे बात नही कर लेता तब तक उसे कुछ मिसिंग सा लगता , सुबह के Good morning के मैसेज से लगाकर रात के Good night sdtc तक के सफर ने आशु जिंदगी खुशनुमा बना दी थी,
बात धीरे धीरे मैसेंजर से व्हाट्सएप और व्हाट्सएप से वौइस् कॉल तक आ गयी थी ,
डाइवोर्स के बाद रजनी ने अपना अकेलापन दूर करने के लिए अपने मकान के पास ही एक स्कूल को जॉइन कर लिया था वो लगभग रोज स्कूल जाने से पहले आशु को कॉल किया करती थी , बताया करती थी कि किस तरह उसने आज एक गलती से साईकल वाले को गिरा दिया, और किस तरह उसने बच्चो के साथ बच्ची बनकर उनका बर्थडे मनाया, और किस तरह उसकी गलती पर मम्मी ने उसे डाटा,
रजनी तमाम बातें आशु के साथ शेयर करती थी,हालांकि बाते नॉर्मल ही होती थी, लैला मजनू वाली नही
और हाँ आशु ने तो उसके एक मैसेज पर जिम भी शुरू कर दी थी जब उसने कहा कि कितने मोटे हो गए हो तुम....
ऐसे करते हुए 4 महीने बीत चुके थे आशु और रजनी एक दूसरे के बारे में काफी कुछ जान गए थे , इसी दौरान आशु के RAS के एग्जाम भी आ गए थे , वो प्री क्लियर कर चुका था अब उसके मेंस के एग्जाम होने थे , लिहाजा उसने एक दिन रजनी को कॉल पर बताया-
" सुनो रजनी , आज से लगभग मैं एग्जाम के चलते सुबह से शाम तक कोचिंग और लाइब्रेरी रहूंगा, और अबकी बार बहुत लोगो की उम्मीदें जुड़ी है मेरे एग्जाम है , इसलिए में हर प्रकार के डिस्टर्बेंस को अवॉयड करना चाहता हुँ, इसलिए मैं सोशल मीडिया को डीएक्टिवेट कर रहा हूँ, और 2 महीने तक तुमसे भी बात नहीं कर पाऊंगा, sorry प्लीज बुरा मत मानना "
" अरे यार यह भी कोई पूछने की बात है, बल्कि मैं तो कहती हूँ तुम खूब मन लगाकर पढो और एग्जाम टॉप करो, बेस्ट ऑफ लक " - रजनी ने कहा
" थैंक्यू रजनी, बाय "- आशु ने यह कहकर फ़ोन स्विच ऑफ कर दिया
आशु के दिल में रजनी के लिए ज़ज़्बात कतरा कतरा करके होले होले दरिया बन गए थे और वो दरिया शादी वाले दरिया से भी गहरा था,आशु को पता था कि रजनी का जन्मदिन उसके एग्जाम के ठीक 2 दिन बाद यानी 25 जून को है , उसने मुम्बई के लिए 23 जून का एक स्लीपर भी रिजर्व करवा लिया था, ताकि वो वहां जाकर रजनी को उसके बर्थडे का सरप्राइज दे सके औऱ उसको अपना इज़हार-ए-इश्क़ बयां कर सके, और उसे अपना लाइफ पार्टनर बना सके
आशु अपनी तैयारी में लग गया, अब आशु का दौलन रूम से कोचिंग ,कोचिंग से लाइब्रेरी और लाइब्रेरी से वापस रूम,दो महीने आशु ने जी तोड़ मेहनत की , और एग्जाम का दिन भी आ गया
आशु एग्जाम हाल में पुरी तैयारी के साथ गया, पेपर देखर उसका चेहरा खिल उठा, उसके साल भर की मेहनत रंग लाई थी, उसका पेपर अच्छा गया
अब सब्र की इन्तेहा हो गयी थी ,
बाहर आते ही आशु जल्दी रूम की ओर निकला , और रूम पर पहुंचते ही उसने अपना टिकट का स्टेटस देखा, वो कन्फर्म था, आशु जल्दी अपना बैग पैक करके रेलवे स्टेशन भागा और ट्रेन पकड़ कर अपने बर्थ पर अपना बैग रखकर फैल गया ..... दो महीने हो गए है उसे बात किये हुए ,
आशु ने रजनी को कॉल लगाया लेकिन यह सोचकर कट कर दिया कि शायद स्कूल में पढ़ा रही होगी इसलिए उसने मैसेज करना वाजिब समझा, आशु ने व्हाट्सएप शुरू किया , उसने रजनी का कॉन्टेक्ट सलेक्ट किया और उसको मैसेज करने से पहले उसकी डीपी देखी, आशु को झटका सा लगा ,
Dp में एक शख्स रजनी को पीछे से अपनी बाहों में जकड़े हुए था, आशु की है हालत खस्ता हो गयी थी, उसने रजनी को मैसेज किया
"Dp में तुम्हारे साथ कौन है ?"
ट्रैन अब तक 1 स्टेशन क्रॉस कर चुकी थी और अगले 2 स्टेशन क्रॉस करने के बाद रजनी का मैसेज आया
" मेरे पति , अभी 15 दिन ही हुए है शादी को"
"और बताओ तुम कैसे हो ?"
"Hello"
"कहाँ गए "
"कहाँ बिजी हो "
"Hello"
रजनी बार बार मैसेज किये जा रही थी ,
आशु की दिल्लगी शुरू ही हुई थी की अचानक उसके दिल पे जा लगी, वो अवचेतन सा हो गया , बर्थ पर सोते हुए उसकी आँखों से निकला पानी उसके कानों तक आ गया
आशु को यह जानने की बिल्कुल ईच्छा ना थी की रजनी ने उसकी शादी के बारे में बताया क्यू नही , भले फोन बंद था लेकिन मैसेज तो कर सकती थी ,
आशु कभी अपनी किस्मत को तो कभी खुद को कोसने लगा
" एक ही तो मौका मिला था उसे अपना बनाने का वो भी छीन गया , आखिर क्यों "
" गलती मेरी ही है , मैने ही देर कर दी उसे बताने में "
" माना उस टाइम वो शादी शुदा थी , लेकिन अब तो हम कितना करीब आ गए थे , मुझे वो अपनी फीलिंग बता ही सकती थी"
" क्या पता ऐसा कुछ हो ही ना , वो सिर्फ मुझे एक दोस्त मानती हो "
" मैं ही पागल था वो फिर से उसके प्यार में पड़ा, उस दिन मुझे उसकी फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट ही नहीं करनी चाहिए थी "
इसी कशमकश में आशु 5 स्टेशन आगे आ गया था , उदास मन आशु ने उतरने का फैसला लिया और वापस रूम पर चला गया ,
धीरे धीरे दिन बीतने लगे और आशु खुद को संभालने लगा,
अब रजनी का फोन आना भी कम होगया 10-15 दिनों में एक बार आता और वो भी आशु कोचिंग जाना है ,लाइब्रेरी जाना है , अभी पढ रहा हूँ आदि कहकर टाल दिया करता था
अब रजनी के फोन आने भी बंद हो गए थे ,
उन्ही दिनों आशु का RAS का इंटरव्यू भी था, और इस मसले के बाद सही ढंग से तैयारी भी नही कर पाया, लिहाजा आशु फाइनल मैरिट लिस्ट से बाहर हो गया,
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7
जापान देश में अमूमन हर साल सैकड़ो भूकम्प आते है और उन्ही मेसे कही भूकम्प उच्च तीव्रता के होते है मसलन वहां सुनामी आती है, और ऐसी सुनामी का सामना जापान ने कई बार किया है और कई बार बर्बाद भी हुआ है , लेकिन जापान उसी शिद्दत के साथ हमेशा उठ खड़ा भी हुआ, ऐसा लगता है मानो कुछ हुआ ही ना हो
कुछ ऐसा ही हाल आशु का भी हुआ , दो बार आशु का दिल टूटा लेकिन उसका कारण एक शख्श ही, फिर भी आशु इन सब बातों का दरकिनार करते अपने लक्ष्य तक पहुंचा , कड़ी मेहनत के बाद आशु ने एसएससी क्लियर किया और इनकम टैक्स इंस्पेक्टर ओहदा हासिल किया ,घर वाले आशु के लिए लड़की देख रहे थे , आशु की जिंदगी अच्छे से चल रही थी
लेकिन कहानी ऐसे खत्म होने वाली ना थी एक और मोड़ आना बाकी था,
कहानी फिर अपनी घटना और किरदार दौरान लगी
6 महीने बीते , फिर वही जाड़े के दिन , वही तारीख और वही दिसम्बर का महीना और एक शादी
अबकी बार शादी आशु के बुआ की लड़की की थी ,
19 दिसम्बर 2012
शाम हो चुकी थी और बारात आ गयी थी , आशु बाकी सब के साथ बारातियो का स्वागत कर रहा था ,
वही बाहर एक बड़ी काली मर्सेडीज़ आकर रुकी, जिससे थ्री लेयर शूट पहने एक शख्श उतरता है और ड्राइवर के अपोजिट सीट ओर से उतर रही औरत अपने साड़ी का पल्लू सही करते हुए उस के साथ आशु की तरफ बढ़ रही थी,
यह रजनी थी , आशु रजनी को उतरते हुए देख चुका था
'अरे आशु , तुम यहाँ कैसे ?' - रजनी ने चौंकते हुए कहा
'भुआ लड़की की शादी है'- आशु ने कहा
'जी यह कौन है श्रीमान?'-रजनी के पति कमलेश ने रजनी से कहा
' ओह्ह सॉरी, यह आशु है सुनील के चाचा जी का लड़का'-रजनी ने कमलेश से कहा
' और यह है कमलेश मेरे पति '- रजनी ने आशु से कहा
' हा याद है , आपकी dp में देखा था' - आशु ने कमलेश से हाथ मिलाते हुए बनावटी मुस्कान बनाई
'तो चले अंदर'- कमलेश ने कहा
'हां चले'- रजनी ने कहा
आशु का अब रजनी के साथ कोई रूहानियत भरा राब्ता नहीं था , अब जब सिर्फ वो उसके सामने होती तब एक शादी में आई एक मेहमान ही थी
उधर मण्डप में फेरे शुरू हो चुके थे , रजनी फेरे देख रही थी ,
तभी उसे किसी का फोन आता है लेकिन शोर के चलते वो कुछ सुन नही पा रही थी , इसलिए वो टेरीज़ पर चली गयी,
फोन उसकी किसी पुरानी सहेली का था, बात खत्म होने के बाद रजनी वापस नीचे जा रही थी,
तभी उसने टेरीज़ के उस बाजू दीवार पर आशु को बैठे देखा , वो सिगरेट पी रहा था ,
' यह कब शुरू की ?'- रजनी ने हल्के गुस्से भरे लहजे में कहा
'एक यही तो जिसने कभी साथ नही छोड़ा , और बताओ कैसी हो ? '- आशु ने सिगरेट बुझाते हुए कहा
' क्या हुआ उदास क्यू हो , कुछ हुआ है क्या '- रजनी ने पूछा
' सब बाते छोड़ो , यब तुम्हारी आंख के ऊपर चोट कैसे लगी ?'- आशु ने रजनी का सवाल टालते हुए कहा
' वो बाथरूम में पैर फिसल गया था '- रजनी ने कहा
' झूठ मत बोलो रजनी, तुम्हें मै अच्छी तरह से जानता हूँ , तुम अगर बारिश में भी हो तो मैं तुम्हारे आंसू पढ़ सकता हूँ , तुम्हारी आंखों में वो पहले वाली शरारत गायब है , '
' तुम भले ही कितना भी छुपाने की कोशिश करो ,लेकिन मैंने तुम्हारे पीठ के निशान देखे है , अब सच सच बताओ कैसे लगी चोट '- आशु ने बिना रुके बोलता गया
' छोड़ो ना, हर पति पत्नी के बीच छोटी मोटी नोक झोंक तो होती रहती है '- रजनी ने असहज होते हुए बात टालने की कोशिश की
' इसे तुम नोक झोंक कहती हो, तुम्हें पता भी है आखिर नोक झोंक होती भी क्या है '- आशु ने कहा
आशु के बात खत्म करते ही कमलेश रजनी को ढूंढते ऊपर आ गया था और उसने उन दोनों को साथ देख लिए था , कमलेश को अंदर ही अंदर यह बात बुरी लगी,
'तुम यहां बैठी हो, नीचे आओ तुम्हे कुछ मेहमानों से मिलवाना है ' - यह बोलते समय कमलेश के चेहरे के भाव गायब थे
रजनी उठकर कमलेश के साथ नीचे चली गयी,
आशु दूसरी सिगरेट जलाकर टेरीस पर टहलने लगा, टहलते टहलते टेरीज़ के आगे वाले हिस्से पर पहुंचा,
वो भले ही आवाज सुन नही पा रहा था लेकिन साफ साफ देख पा रहा था कि नीचे खड़े रजनी और कमलेश में बहस हो रही थी ,
आशु ने धुंए का कश आसमान की तरफ छोड़ते हुए अपना शायराना अंदाज दौराया
"काफिला रह गया था एक दसते वाला ए प्यासा
जिसकी मीरास थी कोसल उन्हें पानी न मिला"
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फेरे हो गए थे दूसरी रोज सुबह बारात वापस रवाना हो रही थी, आशु सुनील के साथ बात कर रहा था ,
'हैप्पी बर्थडे आशु'- आशु के पीछे आकर खड़ी रजनी ने कहा
'तुम्हे याद है क्या '- आशु ने कहा
' लेकिन बदकिस्मती से पिछली बार जाते समय गिफ्ट नही दे पाई, और अब पता नही था कि तुम यहाँ मिलेंगे '- रजनी ने कहा
' कोई बात नही अनजानी मुलाकात में कोई उम्मीद नहीं कि जाती है '- आशु ने कहा
'अरे कोई बात नही रजनी , दे देना गिफ्ट , अब तो आशु भी मुम्बई आ रहा है , आशु का एसएससी में सलेक्शन हो गया है और इनकम टैक्स अफसर की पोस्ट मिली है और पोस्टिंग भी मुम्बई ही हुई है '- बीच मे सुनील ने कहा
'क्या बात कर रहे हो , तुमने मुझे बताया क्यों नही '- रजनी ने आशु से कहा
'बस बताने वाला था ही था '- आशु ने सफाई में कहा
'अच्छा ठीक मैं चलती हूं, मुम्बई मिलते है , बाय'-- रजनी ने कहा
रजनी चली गयी , आशु सुनील अपने काम मे लग गए
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महीने भर बाद आशु की पोस्टिंग मुंबई के गोरेगाँव में हुई,
रजनी का ससुराल भी 3-4 किमी के डिस्टेंस पर मलाड में था ,
एक दिन रजनी अचानक आशु के आफिस जाती है और उसके चेम्बर में घुस जाती है
'तुम , यहाँ ?'- आशु ने हैरानी के साथ कहा
'तुमने तो बताया नही, फेसबुक पर देखा था तुम्हारे किसी फ्रेंड ने पोस्ट डाली थी तुम्हें टैग किया था, उसी मे एड्रेस था ,बस वही देख कर आ गयी'- रजनी ने पूरी बात बताऊ
' वो मैं काम मे बिजी था इसलिए बताना भूल गया ' - आशु ने कहा
आशु ने अलार्म बजाकर पीओन को बुलाया और दो चाय लाने के लिए कहा
आशु फ़ाइलो में बिजी होने का नाटक करने लगा
'और बताओ कैसे है सब घर पर '- आशु ने कहा
'ठीक है सब' - रजनी ने जवाब दिया
'तुम क्या फ़ाइलो में खोए हुए हो , मैं यहाँ लोकल में धक्के खाकर आई हूं और तुम हो के'- रजनी ने मुह बनाते हुए कहा
'वो नया नया चार्ज लिया है और वर्क लोड भी ज्यादा है '- आशु ने कहा
रजनी ने अबकी बार कुछ नही बोला, वो आशु के चेम्बर में लगे फ़ोटो और मैप्स देख रही थी तभी आशु ने कहा
' सुनो, अभी वर्क लोड बहुत ज्यादा है , मैं फ्री होकर मिलता हूँ ना'
'ठीक है '- रजनी इतना कहकर रवाना हो गयी
रजनी के जाते ही आशु ने जोर से अपनी सांस बाहर छोड़ी और कुर्सी पर सर टिकाकर विचारो में गुम हो गया
अब रजनी किसी न किसी सिलसिले में आशु में आफिस आ जाया करती थी , इस बात को लेकर दो महीने हो गए थे , रजनी हर हफ्ते आशु के लिए टिफिन लेकर आती थी कभी शिवरात्रि की खीर तो कभी खुद बनाया हुआ गाजर का हलवा भुजिया वगैरा ,
कमलेश का रजनी के साथ अमूमन झगड़ा होता ही रहता था , और इन दिनों उसको बिजनेस में घाटा भी बहुत हो रहा था , लिहाज वह अपने बिजनेस का फ्रस्टेशन रजनी पर निकालता था
आशु भले ही रजनी से सीधे मुह बात नही करता था लेकिन जब रजनी उसे अपना दुःख सुनाती तो वह हमदर्दी जताया करता था , रजनी का भी गम थोड़ा कम हो जाता और खुद को हल्का महसूस करती ,
एक रोज शाम आशु को ऊपर से नोटिस आता है , किसी विषय पर गलत ब्यौरा देने बाबत , दरसल उसमे आशु की कोई गलती नही थी , उसने ब्यौरा देने का काम अपने नीचे वाले कर्मचारियों को दिया था , चूंकि आशु को इस मामले में जानकारी नही थी तो उसने बिना ज्यादा जानकारी चेक किये आगे भेज दिया,
उधर आशु के घर वाले लड़की देखने जाने के लिए आशु को छुट्टी पर घर बुलाने का प्रेशर दे रहे थे ,
चैम्बर में बैठा आशु इन सब से परेशान ही था कि अचानक रजनी आती है और एक नया खरीदा हुआ शर्ट टेबल पर रखते हुये कहा -
' भुला बिसरा जन्मदिन का तोहफा कबूल करो जनाब '- रजनी ने मुस्कुराते हुए कहा
" यार तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है हर बार यहां चली आती हो ,यह मेरा आफिस है तुम्हारा घर नही जो बिन बताए अंदर घुस आती हो " - आशु जोरदार गुस्से में था
"क्या हुआ आशु "- रजनी डरते हुए कहा
' जब मै खुद चाहता था कि तुम मेरी जिंदगी में आओ तब तुम मुझसे दूर जाती रही और अब जब मैं चाहता हूं कि तुम मेरी लाइफ से दूर चली जाओ तब और नजदीक आ रही हो' - आशु अभी भी गुस्से के साथ
' तुम कहना क्या चाहते हो?- रजनी ने लगभग रोते हुए कहा
' शादी के पहले दिन से ही मैं तुम्हे पसंद करने लग गया था , जब तुम्हारे साथ फार्म हाउस चला, तुम्हारे साथ नाचा, जब हम तुम्हारा ड्रेस लेने गए तब ,
शादी करना चाहता था , तुम्हे अपना हमसफ़र बनाना चाहता था, लेकिन किस्मत को यह नामंजूर था क्योंकि तुम शादी शुदा थी '
' और दूसरी बार मेरी गलती की वजह से तुम मुझसे दूर हो गयी , तुम्हारा तलाक हुआ तब लगा शायद किस्मत ने दुबारा मौका दिया है मुझे तुम्हे अपना बनाने का , सब कुछ परफेक्ट था , बस तुम्हारा जन्मदिन का इंतजार था सोचा तुमसे मिलकर तुम्हारे सामने ही इजहार करूँगा , लेकिन मैंने बहुत देर कर दी '
रजनी आंखों में आंसू लिए सब सुने जा रही थी
' तुम्हारी इन बड़ी बडी आंखों में छुपी छोटी छोटी शरारते मुझे अच्छी लगती थी , लेकिन तुम.......'
' तुम तो मुझे कभी समझ ही नही पाई'
'और अब जब मेरी लाइफ एकदम परफेक्ट चल रही है तो तुम वापस आ गयी मेरी जिंदगी में'
आशु भी लगभग रो पड़ा था
" पसन्द मैं भी करती थी तुम्हें , इंतजार करती रही कि तुम बोलोगे,
पता है मेरी दूसरी शादी बहुत पहले होने वाली थी , लेकिन मैं बार-बार ,बार-बार बहाने बनाकर टालती रही कि काश कभी तो तुम बोलेंगे ,कभी तो बोलोगे ,
और जब तुम नही बोले तो मैं समझी की तुम्हे शायद मुझसे वैसी कोई फिलिंग हो ही ना, तुम मुझे सिर्फ अच्छा दोस्त मानते हो , और वैसे भी तुम अब एक डिवोर्सी से थोड़ी शादी करते " - रजनी रोते रोते सब कह जा रही थी
आशु इतना सुनकर फुट फुट कर रोने लगा और रजनी को अपनी बाहों में भर लिया ,
दोनो एक दूसरे को बाहों में भरे रोये जा रहे थे,मानो बरसो से शापित हो और विरह का दंश भोग रहे हो
' रजनी अभी देर नही हुई है आ जाओ मेरे पास , तुम मेरे जीवन को नया मोड़ दे सकती हो , हम एक नई शुरुआत कर सकते है'- आशु ने दोनों हाथो को रजनी के कंधों पर रखकर कहा
'नही, आशु अब ये पॉसिबल नही है '- रजनी ने कहा
' तुम्हारी आंखे बता रही है तुम उसके साथ खुश नही हो फिर क्यों....' - आशु ने कहा
'बात वो नही है '- रजनी ने कहा
' तो फिर क्या बात है ,यही ना की लोग क्या सोचेंगे, दुनिया क्या कहेगी , उसकी परवाह तुम मत करो '- आशु ने कहा
' नही आशु , अब मेरे ऊपर जिम्मेदारी है , गुड़िया की
वीनू की औऱ अम्मा की ,
जब मैं उन तीनों की उम्मीद भरी निगाह देखती हूँ तो रुक सी जाती हूँ, गुड़िया और वीनू जब पास आकर कहते कि मम्मी पापा कब शराब पीना छोड़ेंगे और कब हमारे साथ घूमने चलेंगे , तब हमेशा उन्हें कल का कहकर सुला देती हूं
और अम्मा हर रोज मुझे उसी उम्मीद में देखती है कि काश मै वो "कल" जल्दी ला पाऊ'
'कई बार सोचती हूँ कि सब छोड़ कर वापस चली जाऊ, लेकिन उन तीनो की उम्मीदें मुझे दहलीज पार करने नही देती है '
' और रही बात कमलेश की तो आज नही तो कल उसकी आदत छूट जाएगी, वो भी अपनी जिम्मेदारियो को समझ जाएगा '
आशु सब कुछ सुने जा रहा था
" तो फिर बार बार यहां क्यों आ जाती हो, रहो उनके साथ , और आगे से यहाँ मत आना " - आशु ने तैश में आकर कहा
रजनी कुछ बोलती आशु वापस शुरू हो गया
" जब तुम्हें रईसी भरी जिंदगी जीनी हो तब कमलेश , और थोड़ा सा गम हुआ कि दौड़ी चली आती हो आशु के पास"
" ऐसा नही है आशु "- रजनी रोते हुए बोली
" तो फिर कैसा है , देखो आना हैं तो पूरी तरह आओ, वरना मै किसी का कंधा बनना नही चाहता "- आशु ने वापस गुस्से में कहा
रजनी रोते हुए घर चली गयी,
ग़मगीन आशु सिगरेट जलाकर चैम्बर में बैठ कर पीने लगा
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दुनिया सोती रहती है लेकिन उसकी जीभ जगती रहती है ,
कमलेश तक यह बात पहुंची की रजनी आशु से मिलने जाया करती है लिहाजा गुस्से में कमलेश दफ्तर से घर पहुंचा और अपने ऊपर वाले बैडरूम में बैठकर शराब पीने लगा,
रजनी को खबर थी कि कमलेश आ गया है , वो उसके लिए खाना लेकर ऊपर पहुंची ,
उसने खाना टेबल पर रखा
तभी कमलेश ने एक जोरदार चमाट रजनी को जड़ा
" तुम उससे मिलने क्यों जाती हो "- गुस्सेल कमलेश ने पूछा
" तुम जिस तरह देख रहे ,वैसा हम दोनों के बीच कुछ नही है "'- रजनी ने कहा
कमलेश ने एक और थप्पड़ जड़ा और रजनी बैडरूम के बाहर आकर गिरी
" शक तो मुझे उसी दिन से था , जब शादी में मैंने तुम दोनों को ऊपर देखा था "
कमलेश एक वेशयी दरिंदा बन चुका था , रजनी अपनी सफाई में कुछ कहती उससे पहले हाथ उठा देता,
रजनी सीढ़ीयो तक आ पहुंची थी, तभी कमलेश ने एक और थप्पड़ मारा और रजनी सीढियो से नीचे गिर गयी
नीचे पड़ी रजनी लहूलुहान थी, सिर में चोट लग गयी थी , खून बह रहा था
उधर पिछले दो घण्टे से ग़मगीन राहुल को एहसास होता है कि उसने रजनी के साथ बहुत बदतमीजी से बात की , उसे ऐसा नही करना चाहिए था , लिहाज माफी मांगने के लिए वह रजनी के मोबाइल पर कॉल करता है
फ़ोन उसकी बेटी गुड़िया उठाती है ,
" बेटा मम्मी कहाँ है , फोन उनको दो "-आशु ने कहा
" मम्मी हॉस्पिटल है "- गुड़िया आशु को पूरा हादसा सुनाती है
आशु भागा भागा हॉस्पिटल पहुंचता है , वहाँ अम्मा और कमलेश ओपरेशन थिएटर के बाहर बैठे हुए थे ,
कमलेश आशु को वहां देखते ही भड़क उठता है , वो उसे मारने उठता है लेकिन आशु उसके पास आते ही उसके गिरेबान पकड़ कर नीचे गिरा देता है
" उसकी क्या गलती थी मा@%#^-@ "- आशु गाली देते हुए उस पर चिल्लाया
आशु उसके पास गया और गुस्से के साथ बोलना जारी रखा
" सुन , वो अय्याशी करने नही आती थी मेरे , वो हमेशा से ही एक पाकदामन औरत रही है , यह तो उसकी किस्मत खराब थी कि उसे तू मिला ,
जब तू उस पर हाथ उठाता था , तब उसके आंसू मेरे पास आकर गिरते थे , लेकिन वो आगे से कभी नही कहती थी तूने उसके साथ कितनी ज्यादती की है
बेचारी हमेशा यही सोचती थी , की किसी न किसी दिन तुम्हारी शराब की आदत छूटेगी और सब ठीक होगा, अम्मा, गुड़िया ,वीनू और तुम्हारे साथ खुशनुमा जिंदगी बितायेगी
लेकिन तू............"
आशु फफक कर रो पड़ा , और कमलेश को धक्के के साथ छोड़कर OT के बाहर वाली बेंच पर जाकर बैठ गया , कमलेश भी एक हाथ सर पर रखकर वही नीचे बैठ गया, वह अपनी भुल पर पछतावा कर रहा था,
OT के ऊपर जल रहा लाल बल्ब बन्द होता है और डॉक्टर बाहर आते है , आशु जल्दी से उठकर डॉक्टर से पूछता है की - कैसी है रजनी
" सर में चोट गहरी थी , खून भी बहुत ज्यादा बह गया था , वो बच नही सकती " - डॉक्टर ने कहा
आशु खून ठंडा पड़ गया, वो वापस आकर उसी बेंच पर बैठ गया ,
उधर कमलेश रोये जा रहा था जिसे उसकी बूढ़ी मा सम्भाल रही थी , उधर बे सुध पडे आशु की नजरे रजनी पर आकर रुक
OT में पड़ी हरे कपडो में लिपटी रजनी ने दुनिया को अलविदा कह दिया , सारी उम्र लोगो को खुश करने वाली बेचारी रजनी को खुद मालूम ना होगा कि उसकी जिंदगी की आखिरी सांस कुछ इस तरह निकलेगी
सारी उम्र दुसरो की खुशी के लिए महब - ए - आजसी रही और हस कर सारे रंज-ओ-आलम सहती रही ...
किस्मत ने दो बार जुआ खेला उसके साथ , दाव पर लगा उसका सब कुछ , पर बाजी हमेशा दूसरे खेलते रहे ,
लेकिन उसे जिंदगी से कोई मलाल नही था लेकिन एक शिकवा जरूर था
की काश किस्मत ने उसे खुद अपनी बाजी खेलने का मौका दिया होता, तो शायद वो जीत जाती..............!!
✍️©वंश नरपत