गाँव का आँगन
बहुत याद आता है वह आँगन
बचपन का खेल मैदान था वह आँगन
सर्द दिनों में दिनभर खटिया का स्थान था वो आँगन
–
ग्रीष्म रातो में लोककथाओ का मंच था वो आँगन
दादी के मसाले बनाने का स्थान था वो आँगन
माँ तुलसी का पावन प्रमाण था वह आँगन
नीम का निवास था वह आँगन
माँ की सहेलियों का जमघट था वह आँगन
थके हुए का विश्राम था वह आँगन
पड़ोस के भोजन की खुशबूं देता था वह आँगन
परिवार के आनंद का कारण था वो आँगन
–
शहरी फ्लैट वाली ज़िन्दगी में
याद आता है वो आँगन
✍️©हितेश राजपुरोहित "मुडी"
गाँव का आँगन
बहुत याद आता है वह आँगन
बचपन का खेल मैदान था वह आँगन
सर्द दिनों में दिनभर खटिया का स्थान था वो आँगन
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ग्रीष्म रातो में लोककथाओ का मंच था वो आँगन
दादी के मसाले बनाने का स्थान था वो आँगन
माँ तुलसी का पावन प्रमाण था वह आँगन
नीम का निवास था वह आँगन
माँ की सहेलियों का जमघट था वह आँगन
थके हुए का विश्राम था वह आँगन
पड़ोस के भोजन की खुशबूं देता था वह आँगन
परिवार के आनंद का कारण था वो आँगन
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शहरी फ्लैट वाली ज़िन्दगी में
याद आता है वो आँगन
✍️©हितेश राजपुरोहित "मुडी"
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