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Thursday, November 7, 2019

गाँव का आँगन


   
   
      गाँव का आँगन 

   बहुत याद आता है वह आँगन
   बचपन का खेल मैदान था वह आँगन
   सर्द दिनों में दिनभर खटिया का स्थान था वो आँगन

  –
  ग्रीष्म रातो में लोककथाओ का मंच था वो आँगन
  दादी के मसाले बनाने का स्थान था वो आँगन
  माँ तुलसी का पावन प्रमाण था वह आँगन
  नीम का निवास था वह आँगन

  माँ की सहेलियों का जमघट था वह आँगन
  थके हुए का विश्राम था वह आँगन
  पड़ोस के भोजन की खुशबूं देता था वह आँगन
  परिवार के आनंद का कारण था वो आँगन

  –
  शहरी फ्लैट वाली ज़िन्दगी में
  याद आता है वो आँगन

 ✍️©हितेश राजपुरोहित "मुडी"

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