कुछ अनकहे लफ्ज़, किस्से, कहानियां, कविताएं, संस्मरण...........!! जिंदगी की दहलीज पर शब्दों का आशियाना आपके लिए........हितेश की कलम से!!
Saturday, October 16, 2021
वो सुनहरी रेत!!
Sunday, October 3, 2021
गाँव मूड़ी का ज़मीनी बदलाव!!
मेरे ग्रामीण अँचलों वाले दोस्त सोच रहे होंगे कि इसमें कौनसी नई बात है, खैर नई बात तो नहीं है लेकिन आज बैठे-बैठे अपने गाँव पर विचार मंथन कर रहा था। तो अनायास मुझे ग्रामीण अंचल की खूबसूरती पर विचार आ गया, जिसे आपसे साझा कर रहा हूं।
पिताजी सरकारी मुलाजिम है इस कारण मेरा स्थानीय निवास स्थान जालोर है, लेकिन मेरा गाँव आना-जाना हर हफ्ते रहता है। वैसे मैं मूलतः गाँव "मूड़ी" का बाशिंदा हूं..….."मूड़ी" आप भी सोच रहे होंगे कि ई साला कौनसे गोले ( ग्रह) पर अवस्थित है!! खैर मेरे लिए यह नई बात नहीं है। जिसको भी मेरे गाँव का नाम बोलता हूं, वो यही कहता है कि यह कहां आया हुआ है? वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूँ की यह जालोर जिले के मुख्यालय से मात्र 14 किलोमीटर दूर स्थित है! स्वरूपरा महादेव मंदिर से मात्र चार किलोमीटर और बिशनगढ़ कैलाशधाम से मात्र तीन किलोमीटर!
लेकिन फिर भी दुनियां से एकदम ओझल, सोरी! सोरी ! दुनियां से नहीं जालोर जिले के लोगों से.....हम मूड़ी वालों के लिए तो यही दुनियां है साहब!!
जैसे दुनियां के नज़रों से मेरा गाँव ओझल है, वैसे ही विकास मेरे गाँव से ओझल है! आपको जानकर हैरानी होगी कि आज आजादी के सत्तर सालों बाद भी गाँव में सामुदायिक स्वास्थ्य भवन नहीं है और ना ही कोई स्वाथ्य विभाग का नुमाइश करने वाला कर्मचारी! और मोदीजी स्मार्ट विलेज की आवाज़ को बुलंद कर रहे है!!
आज भी गाँव से जालोर या बिशनगढ़ जाने के लिए बस की व्यवस्था नहीं है, बारिश के दिनों में गाँव का चौहटा और मुख्य मार्ग कीचड़ से लबालब भर जाते है...गाँवो वालों के चलते नहीं बनता। शर्म की बात है आज देश 5G पर ट्रायल कर रहा है और मेरे गाँव में 2G भी बड़ी मुश्किल से पकड़ता है!!
इसके दोषों का ठीकरा किसके माथे फोड़ो। गाँव वालों के या सत्तर साल से गाँव की नुमाइंदगी करने वाले राजनेताओं के!! मैं नहीं कहता कि इन्होंने आवज़ नहीं उठाई होगी, लेकिन नौबतखाने में बजी तूती को कौन सुन पायेगा! हक और बुनियादी सुविधाएं मांगने से नहीं मिलती , उनको तो छीनना पड़ता हैं हुकूमत और सरकारों से। इसमें कोई दोराय नहीं की आपको इसमें मुँह की खानी पड़ी है।
लेकिन दोस्तों पिछले पंचायत चुनावों के बाद मानो मेरे गाँव की तो एकदम काया ही पलट गयी। जो काम सत्तर सालों में नहीं हो पाया, वो मात्र दो या तीन सालों में हो गया!
आज मुझे यह कहते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की मेरे गाँव की सारी संकरी गालियां रोड़लाइटों से सुसज्जित है और शायद ऐसा सम्पूर्ण रोड़लाइट युक्त गाँव पूरे सायला खंड में मूड़ी ही है!! जिस गाँव को कोई जानता नहीं था, आज रात्रि के समय तीन-चार किलोमीटर दूर से घनी आबादी युक्त बड़े खेड़ा गांव की तरह नजऱ आता है!
यह ऐसे ही बातों से नहीं हुआ होगा, इसके लिए सरपंच मोहदया ने सांसद निधि से फंड को लाया। जो इतना आसान नहीं होता, मूड़ी जैसे छोटे गाँव के लिए!
सिर्फ रोड़लाइट ही नहीं, आज इन दो सालों में गाँव में सार्वजनिक श्मशान घाट से लगाकर गायों के लिए गौशाला तथा सामुदायिक स्वास्थ्य भवन भी निर्माणाधीन है और जल्द ये सब सेवा के लिए हाज़िर हो जाएंगे!!
वाकई इस विकास को पहुँचने में सत्तर साल से ज्यादा समय लग गया, ताज्जुब होता है!! दया आती है उन सत्तर सालों के राजनीतिक नेतृत्व करने वाले महानुभावों पर, लानत है उनके जीवन पर.....आप अपने गाँव का विकास भी नहीं करा पाए!!
लेकिन पिछले पंचायत चुनाव में पड़ोसी गाँव नरसाणा की युवा महिला शक्ति श्रीमती दुर्गा कंवर जी ने कमान संभाली और गाँव वालो को उनके बुनियादी हक हुक्मरानों के गलियारों से छीनकर दिए। क्योंकि मांगने से शायद नहीं मिलते, अगर मिलते तो पहले ही आ जाते!
और इस धारणा को तोड़ा की महिलाएं राजीनीति नहीं कर सकती। उन्होंने यह सिद्ध करके दिखाया कि अगर कुछ कर गुजरने का ठान ले, तो बंजर भूमि से भी हरियाली की चुनर उगाई जा सकती है!
मैं वैसे आलोचनात्मक प्रवृति का मानुष हूँ। हर बात को आलोचना के नजरिये से देखता हूं लेकिन इन दो सालों में वाकई गाँव में विकास हुआ है!!
मैं सम्पूर्ण मूड़ी वालों की तरफ से सरपंच मोहदया और श्रीमान जोगेन्द्र सिंहजी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने हम गांव वालों को बुनियादी सुविधाएं दी! और आशा करता हूँ कि आप ऐसे ही निःस्वार्थ भाव से आगे भी पूरे जोश और लगन के साथ गाँव का चहुमुंखी विकास करेंगे!
विशेष निवेदन :- गाँव के चौहटे वाले मुख्य मार्ग को व्यवस्थित कराने का कष्ट कराए!! आम दिनों में भी यह मार्ग पानी और कीचड़ से भरा रहता है!! मुझसे आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि आप इस समस्या का जल्द ही पूर्ण समाधान करेंगे!!गाँव मूड़ी का ज़मीनी बदलाव!
वैसे मैंने अपने गाँव का आदर्श और स्मार्ट मॉडल सोच रखा है। कभी मिलना हुआ तो भाईसाहब आपसे इस बाबत जरूर विचार साझा करूँगा!!
✍️©हितेश राजपुरोहित "मूड़ी"
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