वो रौनक फिर से लौटेंगी!
सड़कें वीरान है, पार्क सुनसान है.......मुल्क की सारी ज़हीन आवाम अपने-अपने आशियानों में कैद है!
शहर की वो गलियां और बाजार जो आम दिनों में इंसानी चहलपहल से भरे पड़े थे, आज एक नीरव घाटी के समान दिख रहे हैं!
आम दिनों में कल-कारखानों और फैक्टरियों की चिमनियों से उगलता धुँआ रूपी ज़हर अब थम चुका है। सियासती सवाल और मजहबी बवाल थम चुके है
इन दिनों संध्या के समय जब मैं छत के मुंडेरे से झांकता हूं। तो मुझे इस मुल्क की वो पुरानी रौनक याद आती है, जिसके हम आदि हो चुके है.....…......!!!!
आख़िर एक दिन आयेगा जब.......................
जब फिर से यह बाजार, सड़के और पार्क इंसानी वजूद से लबरेज़ हो जायेंगे!
चिमनियां फिर से उसी गति से ज़हर उगलेगी, फिर से मजहबी बवाल और सियासती सवालों का दौर शुरू होगा!
फिर से एक नया शाहीन बाग आबाद कर दिया जायेगा.......जो फिर से दिलवालों के शहर को ख़ूनी आँसू रुलायेगा, फिर से जुल्म का जखीरा खड़ा कर दिया जायेगा!
फिर से मुल्क की ज़हीन बेटियों की आबरु से कोई भेड़िया खेलेगा और हम सभी मूक-बधिर हो कर तमाशा देखते रहेंगे......और न्याय की चौखट पर वह मासूम बेटी गुहार लगाती-लगाती अपने प्राण त्याग देगी, लेकिन यह न्याय के दूत न्याय के बदले देंगे तो सिर्फ़ तारीख़ पर तारीख़!!
फिर से मुल्क की मिल्कियत को सरेआम बेच दिया जायेगा बाजारों में, फिर से सरकारी दफ्तरों में लंबी कतार लगेगी और बाबू अपनी जेब मोटी करेंगे!!
फिर से अख़बारों की स्याही ख़ूनी सुर्खियों को उजागर करेंगी, इतना ही नहीं फिर से गंगा-जमुनी तहज़ीब का ढकोसला तैयार कर दिया जायेगा!
अंधी इस्लामपरस्ती में कुछ लोग फिर से हाथों में खंजर लेकर एक नई सेक्युलर इबारत लिखेंगे और कुछ अदीब तथा तथाकथिक बुद्धिजीवियों की ज़ाहिल ज़मात उनके पक्ष में रंडी रोना रोयेंगे........!!
फिर से पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा दिए जाएंगे.......!
ग़मगीन मत हो मेरे मुल्क के बाशिंदों...............
यह हमारे मुल्क की खूबसूरती है, जो मुग़लिया सल्तनत से निरंतर गंगा जमुनी तहज़ीब के रूप में चली आ रही है.......तो लीजिये आनंद और दीजिये दुहाई धर्मनिरपेक्षता की............!!!
✍️©हितेश राजपुरोहित "मुड़ी"