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Tuesday, July 16, 2019

मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म पर कविता



हाँ मैं आसिफ़ा हु!
क्या गलती थी मेरी?    
चंद किताबों की ओर भी नहीं देखा
बाबा क्या गलती थी मेरी.....😢
बाबा मैंने अपनी शादी पर शहनाई की मांग नही की
मैंने खुदा और नबी से कुछ नही मांगा सिवाये अमन के
कौनसे धर्मग्रंथों में ये हैवानियत लिखी हुई है बोलो ना
उम्र थी अधेड़ बाबा उसकी,मैं मासूम  समझ नही पाई
कहकर राम का ले गया,कर गया हराम सा बाबा
देख ये तमाशा रूह काप उठी,न्याय की मूर्ति हिली नहीं बाबा
मुस्कान,फिरदोस और कविता को बोल देना बाबा...
न निकले अपने घर की चौखट से वरना उस माटी की गुड़िया के संग खेलने के लिए कोई नही बचेगा बाबा
ये कैंडल मॉर्च बहाना है झूठी हमदर्दी का बाबा
वरना हर रोज आसिफ़ा,दामिनी...दम नही तोड़ती
दिखवा मत करो,हर मन पर पहरा रखो...........
फिर ये बदचलन नही होगा......…......
मैं अनपढ़ मासूम थी लेकिन ये कौम तो शिक्षित थी
अरे!धिक्कार है ऐसी तालीम पर...😢
वालिदा को बोल देना बाबा...😢अब आसिफा नही आएगी।
✍️©हितेश राजपुरोहित "मुड़ी"


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